Budget 2020: CPAI ने ट्रेडिंग में लागत कम करने का किया आग्रह, STT और CTT में कमी की मांग

Union Budget 2020 CPAI की मांग है कि सरकार को ट्रेडिंग की संख्या बढ़ाने के लिए STT और CTT को खत्म करना चाहिए या उनकी दरों को कम करना चाहिए।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Tue, 28 Jan 2020 07:59 PM (IST) Updated:Wed, 29 Jan 2020 08:47 AM (IST)
Budget 2020: CPAI ने ट्रेडिंग में लागत कम करने का किया आग्रह, STT और CTT में कमी की मांग
Budget 2020: CPAI ने ट्रेडिंग में लागत कम करने का किया आग्रह, STT और CTT में कमी की मांग

नई दिल्ली, पीटीआइ। कमोडिटी पार्टिसिपेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CPAI) ने सरकार से भारतीय बाजारों में ट्रेडिंग की उच्च लागत का हल निकालने का आग्रह किया है। संगठन का कहना है कि इससे कारोबार के वॉल्यूम और नकदी में भारी कमी आई है। सीपीएआई ने वित्त मंत्रालय के समक्ष एक प्रजेंटेशन में कहा कि भारत में किसी भी लेनदेन में आने वाली लागत उच्च सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) और कमोडिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (CTT) की वजह से अमेरिका, चीन और सिंगापुर के मुकाबले चार से 19 फीसद ज्यादा है।

संगठन का कहना है कि सरकार को ट्रेडिंग की संख्या बढ़ाने के लिए STT और CTT को खत्म करना चाहिए या उनकी दरों को कम करना चाहिए। संगठन का कहना है कि CTT को लागत की तरह नहीं बल्कि भुगतान किए गए कर के रूप में देखा जाना चाहिए। 

कमोडिटी मार्केट एवं कमोडिटी डिराइवेटिव सेग्मेंट में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों के शीर्ष अखिल भारतीय संगठन CPAI ने कहा, ''ट्रेडिंग में उच्च लागत की वजह से वॉल्यूम्स में भारी कमी आई है, नकदी प्रभावित हुई है। लागत पर प्रभाव पड़ा है...''

वर्तमान में भारतीय बाजारों में लेनदेन के लिए CTT, GST, stamp duty, बाजार के शुल्क के साथ-साथ कैपिटल गेन पर टैक्स देना होता है। इससे ट्रांजैक्शन काफी महंगा पड़ता है। 

वर्ष 2013 में CTT की शुरुआत की गई थी। इसके बाद से कमोडिटी मार्केट में ट्रेडिंग के वॉल्यूम में उल्लेखनीय कमी आई है। वित्त वर्ष 2011-12 में कमोडिटी मार्केट में औसतन 69,449 करोड़ रुपये प्रतिदिन का कारोबार होता था जो 2018-19 में घटकर 27,291 करोड़ रुपये प्रतिदिन रह गया। यह वॉल्यूम में 61 फीसद की कमी को दिखाता है। 

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