Budget 2021: बैंक की माली हालत खराब होने पर अपना पैसा जल्द निकाल पाएंगे ग्राहक
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आम लोगों को बड़ी राहत देते हुए आज के बजट में महत्वपूर्ण एलान किया। अगर आपका पैसा किसी बैंक में जमा है और बैंक डूब जाता है तो आपका पैस आपको बहुत जल्द मिल जाएगा।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आम लोगों को बड़ी राहत देते हुए आज के बजट में महत्वपूर्ण एलान किया। अगर आपका पैसा किसी बैंक में जमा है और बैंक डूब जाता है तो आपका पैस आपको बहुत जल्द मिल जाएगा। सीतारमण ने कहा कि बैंकों के बंद होने पर ग्राहकों को नुकसान का भुगतान किया जाएगा। सरकार इसके लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन एक्ट (DICGC), 1961 में संशोधन करेगी। गौरतलब है कि बैंक जमा को पहले ही एक लाख रुपये के बीमा कवर से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया गया था।
यदि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बैंकों की कुछ गतिविधियों को देखकर उनका काम-काज रोकती है, तो जमाकर्ता अपना पैसा तुरंत प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे में ग्राहकों को बैंक से पैसे लेने के लिए बैंक के विलय, या उसके बेचे जाने का इंतजार नहीं करना होगा। अपने बजट भाषण में सीतारमण ने कहा कि अगर बैंक की माली हालत ठीक नहीं है, तो जमाकर्ताओं को उनका भुगतान जमा बीमा के माध्यम से किया जाएगा।
अगर देखा जाए तो पिछले दो कैलेंडर वर्षों में RBI ने कुछ बड़े बैंकों को निगरानी में रखा था। ऐसी स्थिति में बैंक अपने ग्राहकों को पैसा नहीं दे पाता है या कोई लोन ऑफर का लाभ नहीं दे पाएगा। ऐसा केस PMC बैंक के साथ देखा गया था। ऐसे ही कुछ मामले लक्ष्मी विलास बैंक लिमिटेड और यस बैंक को लेकर थे। इन मामलों में सरकार ने कुछ विशेष परिस्तिथियों को देखते हुए सीमित निकासी की अनुमति दी थी। अगर हेल्थ इमरजेंसी है या उच्च शिक्षा के लिए पैसा चाहिए तो ग्राहक अपना पैसा बैंक से निकाल पाते थे।
हालांकि, पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी (पीएमसी) बैंक के मामले में शुरू में आरबीआई ने जमाकर्ताओं को छोटी राशि 1,000 रुपये तक निकालने की अनुमति दी थी, जिसे बैंक ने धीरे-धीरे बढ़ा दिया। इस मामले में जमाकर्ताओं को पीएमसी बैंक में जमा फंड का उपयोग करने के लिए बैंक के विलय के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा।
उल्लेखनीय है कि आरबीआई द्वार PMC बैंक के बोर्ड को भंग किए हुए लगभग 17 महीने हो चुके हैं। जिसका अभी तक कोई रास्ता नहीं निकला है। वहीं बीते वर्षों में छोटे सहकारी बैंकों के मामलों में किसी भी परिस्थिति में ग्राहकों के निकासी पर रोक थी ।