एक महीने में 70 फीसद उछले प्याज के थोक दाम

कई बार लोगों को अपनी बढ़ी कीमतों से रुला चुके प्याज के तेवर दोबारा गरम है। एशिया की सबसे बड़ी मंडी महाराष्ट्र के लासलगांव में प्याज का भाव करीब दो साल की ऊंचाई तक पहुंच गया है। महज एक महीने में इसकी कीमतें 70 फीसद तक उछल चुकी हैं।

By Amit MishraEdited By: Publish:Thu, 23 Jul 2015 09:39 PM (IST) Updated:Thu, 23 Jul 2015 10:21 PM (IST)
एक महीने में 70 फीसद उछले प्याज के थोक दाम

नई दिल्ली। कई बार लोगों को अपनी बढ़ी कीमतों से रुला चुके प्याज के तेवर दोबारा गरम है। एशिया की सबसे बड़ी मंडी महाराष्ट्र के लासलगांव में प्याज का भाव करीब दो साल की ऊंचाई तक पहुंच गया है। महज एक महीने में इसकी कीमतें 70 फीसद तक उछल चुकी हैं।

आपूर्ति घटने से जुलाई में अक्सर कीमतें बढ़ती हैं। मानसून की शुरुआत होने से प्याज की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। लासलगांव मंडी में गुरुवार को यह 25.50 रुपये प्रति किलो के भाव से बेचा गया है। जबकि राजधानी में इसकी खुदरा कीमतें 35-40 रुपये प्रति किलो के दायरे में हैं। दिल्ली सहित देश के विभिन्न हिस्सों में ज्यादातर आपूर्ति लासलगांव मंडी से होती है।

27 जून को सरकार ने इस जिंस के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) में वृद्धि की थी। तब से कीमतें 70 फीसद तक बढ़ चुकी हैं। बढ़ती कीमतें आने वाले हफ्तों में खाद्य महंगाई को बढ़ा सकती हैं। नाशिक स्थित नेशनल हॉर्टिकल्चरल रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन (एनएचआरडीएफ) के आंकड़े बताते हैं कि बीते माह लासलगांव में प्याज का औसत मूल्य 15 रुपये प्रति किलो रहा। देश के ज्यादातर हिस्सों में खुदरा बाजारों में कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है।

थोक और खुदरा दोनों ही मंडियों में बीते हफ्तों में अच्छी क्वालिटी वाले प्याज की कम आपूर्ति होने से कीमतों में वृद्धि हुई है। महाराष्ट्र सहित अन्य प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों में इसकी फसल खराब हुई है। कीमतों के और बढ़ने की आशंका को देखते हुए ही सरकार ने इसके एमईपी में 425 डॉलर प्रति टन की बढ़ोतरी की थी। जमाखोरी रोकने के लिए एक निश्चित सीमा से ज्यादा इसके भंडारण पर प्रतिबंध को और एक साल के लिए बढ़ा दिया है। घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सीमित मात्रा में प्याज आयात करने पर भी विचार कर रहा है।

मंद अवधि में मांग को पूरा करने के लिए रबी फसल के ज्यादातर प्याज का भंडारण किया जाता है। लेकिन, इस साल स्टोर किया गया ज्यादातर प्याज खराब गुणवत्ता वाला है। वजह यह है कि मार्च के शुरू में बेमौसम बारिश से रबी फसल खराब हुई थी।

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, ज्यादा स्टोरेज नुकसान ने बाजार में प्याज की उपलब्धता घटा दी है और इसकी कीमतों पर दबाव बना दिया है। यह स्थिति तब तक बनी रहेगी जब तक सितंबर के मध्य से खरीफ फसल की नई खेप आनी शुरू नहीं हो जाती है।

सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 2014-15 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में प्याज उत्पादन घटकर 189.23 लाख टन रहने का अनुमान है। बीते साल यह 194 लाख टन था। ऊंचे एमईपी के कारण वित्त वर्ष 2014-15 में देश का प्याज निर्यात घटकर 10.86 लाख टन रहा। इससे पूर्व वर्ष में यह 13.58 लाख टन था।

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