प्रधानमंत्री आवास योजना की नई सौगात, इस्पात मंत्रालय 2 लाख रुपये में उपलब्ध कराएगा सस्ते मकान

स्टील मंत्री बीरेंद्र सिंह ने बताया सरकार गरीबों को स्टील के बने मकान उपलब्ध कराएगी

By Surbhi JainEdited By: Publish:Wed, 24 May 2017 11:01 AM (IST) Updated:Wed, 24 May 2017 11:01 AM (IST)
प्रधानमंत्री आवास योजना की नई सौगात, इस्पात मंत्रालय 2 लाख रुपये में उपलब्ध कराएगा सस्ते मकान
प्रधानमंत्री आवास योजना की नई सौगात, इस्पात मंत्रालय 2 लाख रुपये में उपलब्ध कराएगा सस्ते मकान

नई दिल्ली (जेएनएन)। स्टील के मकान बहुत मजबूत और किफायती होते हैं। लिहाजा सरकार गरीबों को स्टील के बने मकान उपलब्ध कराएगी। स्टील मंत्री बीरेंद्र सिंह ने इस बात के संकेत दिए हैं। स्टील मंत्रालय की तीन साल की उपलब्धियों के सिलसिले में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को सस्ते मकान उपलब्ध कराने की स्कीम के तहत इस्पात मंत्रालय दो लाख रुपये में स्टील के बने मकान उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहा है।

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रति मकान डेढ़ लाख रुपये का आवंटन होता है। जबकि पर्वतीय इलाकों के लिए यह राशि 1.60 लाख रुपये है। इसके अलावा ग्रामीण विकास मंत्रालय 70 हजार रुपये की मदद बैंकों के जरिये प्रदान करता है। इस तरह कुल राशि दो लाख रुपये से ऊपर बनती है। ज्यादातर स्टील का प्रयोग कर बड़ी आसानी से इतनी लागत में मकान बनाए जा सकते हैं। इन मकानों से न केवल देश में स्टील की खपत बढ़ेगी बल्कि इनका निर्माण भी तेजी से होगा। गंगटोक में ऐसे मकान देखने के बाद हमने इस बात पर चर्चा की है कि क्या ऐसे मजबूत स्टील ढांचों का प्रयोग कर हम मकानों का टिकाऊपन बढ़ा सकते है। बाद में इस्पात सचिव अरुणा शर्मा ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ऐसे मकान बनाने को तैयार है। दूसरे राज्यों व निकायों से भी बातचीत चल रही है।

बीरेंद्र सिंह ने कहा कि तीन साल में स्टील सेक्टर में आमूलचूल सुधार हुआ है। पहले यह क्षेत्र कर्ज से दबा हुआ था और बैंक व रिजर्व बैंक के लिए भी यह एक बड़ी समस्या थी। वहीं आज भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक देश बनने जा रहा है। बीते वित्तीय वर्ष में हमने जापान को पछाड़कर यह उपलब्धि हासिल की। इससे पहले 2015 में हम अमेरिका को पछाड़कर विश्व में तीसरे नंबर के सबसे बड़े क्रूड स्टील उत्पादक बने थे। जबकि 2014 तक हमारा स्थान चौथा था।

दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक:
पिछले साल 2015-16 भारत ने 10 करोड़ टन इस्पात का उत्पादन किया जबकि जापान ने 10.4 करोड़ टन। परंतु जल्द ही हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्टील उत्पादक होंगे। यही नहीं, 2016-17 में 82 लाख टन इस्पात का निर्यात कर भारत इस्पात का शुद्ध निर्यातक भी बन गया है। यह पिछले साल के निर्यात के मुकाबले 102 फीसद ज्यादा है। स्टील मंत्रालय इस निर्यात को और बढ़ाकर एक करोड़ टन से भी ऊपर ले जाने के लिए कृतसंकल्प है।

सरकार के कदमों के परिणामस्वरूप बीते वित्तीय वर्ष में स्टील का आयात 37 प्रतिशत घटकर 74.2 लाख टन रह गया। इस्पात मंत्री के अनुसार पिछले तीन वर्षो में भारत ने क्रूड स्टील उत्पादन क्षमता में 1.65 करोड़ टन की बढ़ोतरी की है। मंत्रालय जीडीपी में स्टील के योगदान को मौजूदा दो फीसद से ज्यादा करने के लिए प्रयत्नशील है। नई स्टील नीति के तहत इस्पात उत्पादन को 2030-31 तक बढ़ाकर 30 करोड़ टन तक करने का प्रस्ताव है।

विवादों का समाधान:
स्टील क्षेत्र को तंग कर रहे विभिन्न कानूनी विवादों के बारे में मंत्री का कहना था कि इस समय अकेले सेल से संबंधित 4000 विवाद लंबित हैं। लिहाजा इनके शीघ्र व तीव्र निपटारे के लिए स्वतंत्र मध्यस्थ नियुक्त किए जाएंगे।

जीएसटी से उद्योग को फायदा:
कोयले को न्यूनतम पांच फीसद जीएसटी के दायरे में लाये जाने से स्टील सेक्टर को लाभ होगा। सेमी-फिनिश्ड व अनफिनिश्ड स्टील उत्पादों पर जीएसटी की दर 18 फीसद होगी।

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