सीमापार आइबीसी मामलों के लिए यूएन मॉडल की सिफारिश

कंपनी मामलों के मंत्रालय द्वारा गठित इन्सॉल्वेंसी लॉ कमेटी ने कुछ कानून में कुछ बदलाव की सिफारिश की है।

By Pramod Kumar Edited By: Publish:Tue, 23 Oct 2018 08:26 AM (IST) Updated:Tue, 23 Oct 2018 08:26 AM (IST)
सीमापार आइबीसी मामलों के लिए यूएन मॉडल की सिफारिश
सीमापार आइबीसी मामलों के लिए यूएन मॉडल की सिफारिश

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। इन्सॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) में संशोधन पर गौर करने के लिए गठित एक समिति ने सोमवार को यह सिफारिश की है कि सीमापार मुद्दों के लिए युनाइटेड नेशंस कमिशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड लॉ (यूएनसिट्रल) के मॉडल कानून को अपनाया जाना चाहिए। कंपनी मामलों के मंत्रालय द्वारा गठित इन्सॉल्वेंसी लॉ कमेटी ने कुछ कानून में कुछ बदलाव की भी सिफारिश की ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि घरेलू इन्सॉल्वेंसी फ्रेमवर्क और प्रस्तावित विदेशी इन्सॉल्वेंसी फ्रेमवर्क के बीच कोई असंगति न रहे। समिति ने अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंपी है।

यूएनसिट्रल मॉडल कानून को अब तक करीब 44 देश अपना चुके हैं। इस मॉडल कानून में विभिन्न न्यायाधिकार क्षेत्रों के बीच सहयोग और समन्वय के प्रोत्साहन देने और प्राधिकृत करने पर ध्यान दिया गया है। इस मॉडल में मूल इन्सॉल्वेंसी कानून को एक जैसा बनाने की कोशिश नहीं की गई है।

सरकार के बयान में कहा गया है कि घरेलू कार्रवाई को प्राथमिकता और जनहित की सुरक्षा मॉडल कानून के प्रमुख लाभ हैं। इस कानून में विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ना और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए ठोस प्रणाली समेत कई अन्य फायदे शामिल भी हैं।

आइबीसी के तहत दूसरे देशों के लिए इन्सॉल्वेंसी फ्रेमवर्क का होना इसलिए जरूरी है कि कई भारतीय कंपनियां ग्लोबल स्तर पर कारोबार करती हैं और कई विदेशी कंपनियां भारत सहित अनेक देशों में कारोबार करती हैं। बयान में कहा गया है कि इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्शी कोड ऑफ इंडिया 2016 में क्रॉस बॉर्डर इन्सॉल्वेंसी चैप्टर का शामिल करना एक बड़ा कदम होगा और यह भारतीय दिवालिया कानून को परिपक्व देशों के कानून के समकक्ष स्थापित करेगा। 

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