तीसरी लहर से बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता पर असर की आशंका, फंसे कर्जो के अलावा कर्जदाताओं का लाभ काफी प्रभावित होने की संभावना

गुप्ता ने कहा कि बैंकों ने महामारी की पिछली दो लहरों में कर्जों के पुनर्भुगतान को 12 महीने तक स्थगित कर दिया था। आने वाले समय में कर्ज पुनर्गठन की मांग 15-20 आधार अंक (0.15 से 0.20 प्रतिशत) तक बढ़ सकती है

By NiteshEdited By: Publish:Thu, 06 Jan 2022 06:05 PM (IST) Updated:Fri, 07 Jan 2022 07:48 AM (IST)
तीसरी लहर से बैंकों की संपत्ति  गुणवत्ता पर असर की आशंका,  फंसे कर्जो के अलावा कर्जदाताओं का लाभ काफी प्रभावित होने की संभावना
Third wave of COVID 19 to pose risk to asset quality of banks Report

नई दिल्ली, पीटीआइ। कोरोना की तीसरी लहर के सामने आने से बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता पर बड़ा असर दिखने की आशंका है। घरेलू रेटिंग एजेंसी इकरा का कहना है कि खासतौर पर पुनर्गठित कर्ज के लिए यह लहर बड़ा जोखिम पैदा कर सकती है। इकरा रेटिंग्स ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि फंसे कर्जो के अलावा कर्जदाताओं का लाभ काफी प्रभावित हो सकता है। इसके साथ ही उन्हें कर्ज समाधान मोर्चे पर भी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। इन चुनौतीपूर्ण हालातों में कर्जदारों की तरफ से कर्ज पुनर्गठन के अनुरोध में 0.20 प्रतिशत तक का उछाल दिखने की संभावना है।

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इक्रा के वित्तीय क्षेत्र रेटिंग उपाध्यक्ष अनिल गुप्ता ने कहा, "ओमीक्रोन स्वरूप के संक्रमण बढ़ने के साथ तीसरी लहर आने की आशंका काफी बढ़ गई है। पिछली दो लहरों से बुरी तरह प्रभावित कर्जदाता संस्थानों के प्रदर्शन के लिए यह एक बड़ा जोखिम हो सकता है।"

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गुप्ता ने कहा कि बैंकों ने महामारी की पिछली दो लहरों में कर्जों के पुनर्भुगतान को 12 महीने तक स्थगित कर दिया था। आने वाले समय में कर्ज पुनर्गठन की मांग 15-20 आधार अंक (0.15 से 0.20 प्रतिशत) तक बढ़ सकती है। पिछली दो लहरों में भारतीय रिजर्व बैंक ने दो राहत पैकेज घोषित कर कर्जदाताओं एवं कर्जदारों दोनों को राहत दी थी।

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इक्रा की रिपोर्ट कहती है कि दूसरी लहर के दौरान खुदरा एवं एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) को कर्ज पुनर्गठन पहली लहर के दौरान पुनर्गठित कर्जों की तिगुनी रही। पुनर्गठन की वजह से खातों की स्थिति भी सुधर गई।

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