काल ड्राप पर देना होगा जुर्माना

काल ड्राप पर प्रस्तावित जुर्माने से परेशान मोबाइल कंपनियों को दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) से राहत मिलने के आसार नहीं है। ट्राई ने मोबाइल कंपनियों के इस दावे को खारिज कर दिया है कि काल ड्राप पर जुर्माने लगाने की वजह से इन पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा। ट्राई से

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Publish:Mon, 16 Nov 2015 08:21 PM (IST) Updated:Mon, 16 Nov 2015 08:23 PM (IST)
काल ड्राप पर देना होगा जुर्माना

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। काल ड्राप पर प्रस्तावित जुर्माने से परेशान मोबाइल कंपनियों को दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) से राहत मिलने के आसार नहीं है। ट्राई ने मोबाइल कंपनियों के इस दावे को खारिज कर दिया है कि काल ड्राप पर जुर्माने लगाने की वजह से इन पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा। ट्राई से निराश होने के बाद मोबाइल कंपनियां अब संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद के यहां गुहार लगाने की तैयारी में हैं। हालांकि वहां से भी उन्हें कोई राहत मिलने के आसार नहीं है।

सूत्रों के मुताबिक मोबाइल कंपनियों ने संचार मंत्री से मिलने का समय मांगा है और अगले कुछ दिनों के भीतर ही काल ड्राप पर उनसे बातचीत की जाएगी। हालांकि संचार मंत्री प्रसाद इस बैठक में काल ड्राप की समस्या में बहुत व्यापक सुधार नहीं होने का मुद्दा भी उठाएंगे। प्रसाद पहले ही यह साफ कर चुके हैं कि काल ड्राप एक ऐसा मुद्दा है जिसके साथ समझौता नहीं की जा सकती है। यह मुद्दा प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से उठाया गया था और कम से कम दो बार इस पर कैबिनेट में भी चर्चा हो चुकी है। उसके बाद सरकार की तरफ से सख्ती की गई। ट्राई के ताजे आंकड़े बताते हैं कि कॉल ड्राप की स्थिति में कुछ सर्किलों में सुधार हुआ है जबकि कुछ सर्किलों में स्थिति बिगड़ी है।

मोबाइल कंपनियों का कहना है कि अगर काल ड्राप पर जुर्माना लगाने का नया फार्मूला लागू किया गया तो उन पर 56 हजार करोड़ रुपये का सालाना बोझ पड़ेगा। इससे कर्ज में डूबी इन कंपनियों की हालत और खराब हो जाएगी। जबकि ट्राइ का आकलन है कि मोबाइल कंपनियों पर संयुक्त तौर पर हर तिमाही महज 200 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। मोबाइल कंपनियों का यह भी कहना है कि नये फार्मूला का बहुत ही व्यापक तौर पर गलत इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि काल ड्राप को साबित करने का कोई पक्का तकनीकी तरीका नहीं है।

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