PMC के निलंबित मैनेजिंग डायरेक्टर का खुलासा, HDIL पर बैंक का 2,500 करोड़ रुपये कर्ज

उन्होंने कहा कि बैंक के पूर्व प्रबंधन ने गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) के मामले में निदेशक मंडल को अंधेरे में रखा।

By NiteshEdited By: Publish:Sat, 28 Sep 2019 01:55 PM (IST) Updated:Sat, 28 Sep 2019 01:55 PM (IST)
PMC के निलंबित मैनेजिंग डायरेक्टर का खुलासा, HDIL पर बैंक का 2,500 करोड़ रुपये कर्ज
PMC के निलंबित मैनेजिंग डायरेक्टर का खुलासा, HDIL पर बैंक का 2,500 करोड़ रुपये कर्ज

नई दिल्ली, पीटीआइ। पंजाब एंड महाराष्ट्र को-आपरेटिव बैंक (पीएमसी) ने एचडीआईएल बैंक को 2,500 करोड़ रुपये का कर्ज दिया है। पीएमसी के निलंबित प्रबंध निदेशक जॉय थॉमस ने इसका खुलासा किया है। यह बैंक के कुल कर्ज का करीब एक तिहाई है। उन्होंने कहा कि बैंक के पूर्व प्रबंधन ने गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) के मामले में निदेशक मंडल को अंधेरे में रखा।

थॉमस ने कहा कि पिछले छह-सात साल में एचडीआईएल पर पीएमसी बैंक का बकाया कर्ज बढ़कर 2,500 करोड़ रुपये से अधिक हो गया। जबकि प्रबंधन की ओर से निदेशक मंडल को यह नहीं बताया गया कि उसका सबसे बड़ा ग्राहक पिछले दो-तीन साल से एनपीए हो गया है। बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को नियामकीय कार्रवाई करते हुए पीएमसी प्रबंधन को भंग कर दिया है। केंद्रीय बैंक ने छह महीने के लिए पीएमसी के कामकाज के लिए प्रशासक नियुक्त किया है। बैंक का कुल बकाया कर्ज करीब 8,400 करोड़ रुपये है जबकि उसके पास कुल 11,630 करोड़ रुपये की जमा है।

थॉमस ने कहा, 'निदेशक मंडल को इस बात की जानकारी नहीं थी कि एचडीआईएल का कर्ज एनपीए हो गया है। उसे इसकी जानकारी नहीं दी गई। इसका आवंटन केंद्रीय कार्यालय स्तर पर किया गया।' हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि कर्ज आवंटन किसने किया। मालूम हो कि पीएमसी बैंक के चेयरमैन वारियम सिंह एचडीआईएल के निदेशक मंडल में 2018 तक नौ साल से अधिक समय तक रहे। उनकी इस कंपनी (एचडीआईएल) में 1.7 फीसद हिस्सेदारी है। उन्होंने कहा कि एचडीआईएल के पास करीब 2,500 करोड़ रुपये बकाया हैं। इसमें 30 अगस्त को 96.50 करोड़ रुपये के दिए गए दो कर्ज भी शामिल हैं।

हालांकि, ये कर्ज पूरी तरह सुरक्षित हैं और इसके बदले ढाई गुणा कीमत की जमीनें व भवन गांरटी के रूप में रखे गए हैं। उन्होंने कहा, 'वह इस दौरान किस्तों का भुगतान करते रहे। सिर्फ पिछले दो-तीन साल से वह भुगतान में चूक करने लगे।' उन्होंने कहा कि ये ऋण इसलिये दिये गये थे ताकि कंपनी बैंक ऑफ इंडिया को बकाया का भुगतान कर एनसीएलटी में जाने से खुद को बचा सके। 

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