आर्थिक सुधारों की गाड़ी को मिलेगी रफ्तार, प्रधानमंत्री ने दिए संकेत

केंद्र सरकार आने वाले दिनों में आर्थिक सुधारों की गाड़ी को और रफ्तार देने जा रही है। इस बात के साफ संकेत यहां प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दिए। प्रधानमंत्री वैसे तो जी-20 देशों के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक को संबोधित कर रहे थे लेकिन उन्होंने इस संबोधन का इस्तेमाल विदेशी निवेशकों व अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों

By Edited By: Publish:Thu, 05 Sep 2013 10:18 PM (IST) Updated:Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
आर्थिक सुधारों की गाड़ी को मिलेगी रफ्तार, प्रधानमंत्री ने दिए संकेत

सेंट पीटर्सबर्ग, [राजकिशोर]। केंद्र सरकार आने वाले दिनों में आर्थिक सुधारों की गाड़ी को और रफ्तार देने जा रही है। इस बात के साफ संकेत यहां प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दिए। प्रधानमंत्री वैसे तो जी-20 देशों के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक को संबोधित कर रहे थे लेकिन उन्होंने इस संबोधन का इस्तेमाल विदेशी निवेशकों व अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों के बीच विश्वास बहाली के लिए खूब किया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार अभी कुछ महत्वपूर्ण कड़े आर्थिक सुधार करने वाली है।

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देश की अर्थंव्यवस्था के समक्ष अभी सबसे बड़ी चुनौती चालू खाते के घाटे की है। इस पर दो वर्षो के भीतर काबू में पाने का भरोसा प्रधानमंत्री ने दिया। उन्होंने कहा कि चालू खाते का घाटा अभी जीडीपी का 4.8 फीसद है जिसे वर्ष 2013-14 में 3.7 फीसद के स्तर पर लाया जाएगा। इसे आगे घटा कर 2.5 फीसद के सामान्य स्तर पर लाया जाएगा। तेज आर्थिक विकास की तरफ अर्थव्यवस्था को मोड़ने के लिए उदारवादी नीतियों को जारी रखा जाएगा। इस संदर्भ में हाल के दिनों में कई कदम उठाए गए हैं। आने वाले दिनों में आर्थिक सुधार के और कदम उठाए जाएंगे। सब्सिडी घटाने, टैक्स व वित्तीय ढांचे में सुधार के लिए कठोर फैसले किए जाएंगे। पीएम ने मौजूदा मौद्रिक संकट से उबरने के लिए जी-20 देशों के बीच और गहरे संपर्क की वकालत की और कहा कि वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था को सुधारने की सामूहिक जिम्मेदारी सभी देशों की है।

जी-20 देशों की बैठक को संबोधित करने से पहले प्रधानमंत्री ब्रिक्स देशों के प्रमुखों की अलग हुई एक बैठक में शामिल हुए। इस बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अलावा रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी चिंगफिंग, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा और ब्राजील की राष्ट्रपति डिलमा रुसौफ मौजूद थी। गहरे आर्थिक संकट में फंसने के करीब पहुंच चुके ब्रिक्स देशों ने अमेरिका की संभावित मौद्रिक नीति के विपरीत असर से बचने के लिए सौ अरब डॉलर का एक फंड बनाया है। ब्रिक्स देशों ने जो फंड बनाया है उसमें सबसे बड़ा योगदान [31 अरब डॉलर] चीन का है। भारत, रूस और ब्राजील 18-18 अरब डॉलर देंगे। जबकि दक्षिण अफ्रीका पांच अरब डॉलर देगा।

फंड के गठन के साथ ही ब्रिक्स देशों ने अमेरिका व अन्य विकसित देशों से आग्रह किया है कि वे विकासशील देशों को भरोसे में लेकर ही अपनी मौद्रिक नीति बदलें। सनद रहे कि अमेरिका व कुछ अन्य विकसित देशों की तरफ से ये संकेत दिए गए हैं कि उनकी अर्थव्यवस्था सुधरने लगी है, इसलिए पिछले कुछ वर्षो से उन्होंने जो नरमी वाली आर्थिक नीति अपना रखी थी उसे बदल सकते हैं। हाल के हफ्तों में भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका सहित तमाम विकासशील देशों की मुद्राओं में डॉलर के मुकाबले जो गिरावट आई है उसके लिए इस संभावित नीति को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

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