हमसे विमर्श कर मौद्रिक नीति बदले अमेरिका: पीएम
अमेरिका की मौजूदा मौद्रिक नीति में संभावित बदलाव और इसकी वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर को लेकर सरकार बुरी तरह से आशंकित है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अमेरिका से अपील की है कि वह भारत सहित अन्य विकासशील देशों के साथ विचार-विमर्श के बाद ही अपनी मौद्रिक नीति
प्रधानमंत्री के विशेष विमान से [राजकिशोर]। अमेरिका की मौजूदा मौद्रिक नीति में संभावित बदलाव और इसकी वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर को लेकर सरकार बुरी तरह से आशंकित है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अमेरिका से अपील की है कि वह भारत सहित अन्य विकासशील देशों के साथ विचार-विमर्श के बाद ही अपनी मौद्रिक नीति में बदलाव करे। बीस देशों के समूह जी-20 की बैठक में हिस्सा लेने के लिए बुधवार को सेंट पीट्सबर्ग (रूस) रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री की तरफ से जारी बयान में उनकी चिंता साफ तौर पर झलकती है।
आर्थिक हालात सुधरने के संकेतों के बीच अमेरिका व अन्य विकसित देशों ने अपनी मौजूदा कम ब्याज दर वाली मौद्रिक नीति को बदलना शुरू कर दिया है। अमेरिका ने कहा है कि वह मौद्रिक नीति को लेकर जो प्रोत्साहन पिछले दो वर्षो से दे रहा था उसे वापस ले लेगा। इससे माना जा रहा है कि निवेशकों का एक बड़ा वर्ग फिर से अमेरिका में निवेश करेगा। निवेशकों का यह वर्ग भारत सहित तमाम विकासशील देशों से अपनी पूंजी निकाल कर अमेरिका व अन्य विकसित देशों के बाजार में लगाएंगे। हाल के दिनों में भारत, इंडोनेशिया, ब्राजील सहित तमाम विकासशील देशों की मुद्राओं में कमजोरी के लिए इस बदलाव को एक बड़ी वजह माना जा रहा है।
पीएम की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि यह सभी के हित में होगा कि औद्योगिक व विकसित देश विकासशील देशों के साथ सामंजस्य बिठा कर अपनी मौद्रिक नीति में बदलाव करें। इससे ग्लोबल मंदी से बेहतर तरीके से निबटा जा सकेगा। पीएम ने कहा कि सेंट पीट्सबर्ग की बैठक में भी उनकी यह कोशिश होगी कि इस बारे में सहमति बने ताकि विकासशील देशों की विकास संभावना पर कोई ग्रहण नहीं लगे। उन्होंने स्वीकार किया कि भारत की आर्थिक विकास दर को पटरी पर लाने के लिए ग्लोबल अर्थव्यवस्था का सकारात्मक होना जरूरी है।
सेंट पीट्सबर्ग में ब्रिक्स देशों की भी बैठक होने वाली है। अमेरिकी मौद्रिक नीति में बदलाव की घोषणा से इन देशों की अर्थव्यवस्था पर ही सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है। इन देशों में भारत की करेंसी डॉलर के मुकाबले सबसे ज्यादा कमजोर हुई है। पीएम ने कहा है कि मार्च, 2013 में ब्रिक्स देशों की हुई बैठक में जो फैसले किए गए थे उनकी समीक्षा आगामी बैठक में की जाएगी।
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