मेक इन इंडिया को परवान चढ़ाने में जुटी सरकारी कंपनियां

मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी मेक इन इंडिया कार्यक्रम को परवान चढ़ाने के लिए केंद्र के सभी मंत्रालयों ने कमर कसनी शुरू कर दी है। खास तौर पर भारी भरकम पीएसयू चलाने वाले मंत्रालयों ने अपनी कंपनियों के जरिये लाखों करोड़ रुपये की परियोजनाएं लगाने की घोषणा की तैयारी कर ली

By Edited By: Publish:Sat, 10 Jan 2015 08:09 PM (IST) Updated:Sat, 10 Jan 2015 09:29 PM (IST)
मेक इन इंडिया को परवान चढ़ाने में जुटी सरकारी कंपनियां

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी मेक इन इंडिया कार्यक्रम को परवान चढ़ाने के लिए केंद्र के सभी मंत्रालयों ने कमर कसनी शुरू कर दी है। खास तौर पर भारी भरकम पीएसयू चलाने वाले मंत्रालयों ने अपनी कंपनियों के जरिये लाखों करोड़ रुपये की परियोजनाएं लगाने की घोषणा की तैयारी कर ली है। सिर्फ बिजली व कोयला क्षेत्र की कंपनियां अगले छह से आठ महीने में एक लाख करोड़ रुपये का ऑर्डर देने वाली हैं।

बिजली मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियों को पिछले तीन वर्षों से कोई बड़ा ऑर्डर नहीं मिला है। ट्रांसफॉर्मर बनाने वाली जिन कंपनियों ने भारत में निर्माण इकाई लगाई हैं, उन्हें भी ऑर्डर नहीं मिल पा रहा है। निजी क्षेत्र की बिजली कंपनियों की तरफ से कोई नया आदेश निकलने की संभावना फिलहाल नहीं है।

ऐसे में सरकारी कंपनी एनटीपीसी अगले कुछ महीनों में 50 हजार से 70 हजार रुपये का ऑर्डर विभिन्न स्तरों पर देगी। एनटीपीसी की मौजूदा बिजली उत्पादन क्षमता को अगले पांच वर्षों में दोगुना किया जाना है। पनबिजली कंपनी एनएचपीसी की कुछ अहम परियोजनाओं की राह की सभी अड़चनों के तीन महीने के भीतर दूर होने की संभावना है। इसके साथ ही एनएचपीसी की तरफ से 20 हजार करोड़ रुपये के नए ऑर्डर दिए जाएंगे।

पावर ग्रिड कॉरपोरेशन की तरफ से भी 10 हजार करोड़ रुपये के नए ऑर्डर जल्द ही दिए जाने के आसार हैं। वैसे, ट्रांसमिशन व वितरण से संबंधित 40 हजार करोड़ रुपये के नए ऑर्डर एक वर्ष के भीतर दिए जा सकते हैं। कोयला मंत्रालय के तहत आने वाली देश की सबसे बड़ी कोयला कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड की तरफ से भी एक वर्ष के भीतर 40 हजार करोड़ रुपये के तमाम खनन उपकरणों का ऑर्डर दिए जाने की तैयारी हो रही है।

इन उपकरणों का उपयोग कंपनी अपने 200 ऐसे कोयला खदानों में करेगी, जहां खनन पर उसने अभी तक ध्यान नहीं दिया है। सरकार को उम्मीद है कि एक बार 204 कोयला ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी होने के बाद कोयला क्षेत्र में और नए ऑर्डर आएंगे। इससे कोयला क्षेत्र के लिए सुरक्षा, खनन व अन्य उपकरण बनाने वाली कंपनियों में मंदी का दौर खत्म होगा। नई पूंजी आएगी व हजारों नए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

गौरतलब है कि तीन दिन पहले अपने मंत्रालयों के रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए बिजली, कोयला और नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि ऊर्जा क्षेत्र में सरकार की घोषणाओं का जल्द असर दिखना शुरू होगा। नए ऑर्डर आने से देश की औद्योगिक क्षेत्र की सुस्ती भी दूर होगी। मोदी सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद औद्योगिक क्षेत्र की रफ्तार अभी तक सुस्त बनी हुई है।

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