दाल की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए राज्य करें पहल : केंद्र सरकार
मंहगाई पर अल्पकालिक चर्चा के जवाब में पासवान ने कहा कि जमाखोरी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकारों को आगे आने की जरूरत है।
नई दिल्ली [एसपी सिंह]। 'सिवाय दाल के किसी चीज के दाम नहीं बढ़े हैं।' दालों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार रियायती दरों वाली दालें राज्यों को उपलब्ध करा रही है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले व खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि महंगाई से निपटने का दायित्व राज्य सरकारों का भी है। राज्यों से सहयोग की अपील करते हुए पासवान ने जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई करने और आपूर्ति श्रृंखला को दुरुस्त करने को कहा।
राज्यसभा में महंगाई पर हुई अल्पकालिक चर्चा के जवाब में पासवान ने कहा कि खाद्य वस्तुओं के उत्पादन में कमी नहीं आई है, बल्कि आपूर्ति श्रृंखला में बाधा आई है। इसके लिए राज्य सरकारें पूरी तरह जिम्मेदार हैं। दालों की कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने हर संभव उपाय किये हैं। दाल मूल्य का आंकड़ा पेश करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने पहली बार दालों का बफर स्टॉक बनाया है। राज्यों को खुली छूट है कि वे अपनी जरूरतों के हिसाब से दाल की मांग कर सकती हैं। सब्सिडी के आधार पर केंद्र जहां अरहर 66 रुपये प्रति किलो दे रहा है, वहीं उड़द 82 रुपये किलो की दर से उपलब्ध कराने को तैयार है।
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पासवान ने उन राज्यों की कड़ी आलोचना भी कि जिन्होंने दालों पर वैट का प्रावधान कर रखा है। खाद्य मंत्री ने कहा कि मंहगाई के लिए राज्यों के एपीएमसी एक्ट (मंडी कानून) जिम्मेदार हैं। राज्यों को इनमें संशोधन करना चाहिए, ताकि किसानों को उनकी उपज के उचित मूल्य मिल सके और उपभोक्ताओं को सही दाम पर खाद्य वस्तु। जीएसटी से इसमें कुछ सुधार जरूर होगा, लेकिन मंडी कानून को बदले बगैर बात नहीं बन पाएगी।
पासवान ने महंगाई रोकने के लिए जिन उपायों को गिनाया, उसमें आपूर्ति श्रृंखला प्रमुख है। उन्होंने कहा कि इसके लिए केंद्र के पास कोई उपकरण नहीं है, इसमें राज्यों की भूमिका अहम है। इसके पूर्व चर्चा में हिस्सा लेने वाले विपक्ष दलों के नेताओं ने सरकार की कड़ी आलोचना की। कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने कहा कि सरकार का ध्यान इस ओर नहीं है। दाल के मुकाबले चिकेन की मीट और अंडे से महंगा आलू हो गया है। सपा के नरेश अग्रवाल ने चुटकी लेने के अंदाज में सरकार को आड़े हाथों लिया।