एसएंडपी ने दी फिर साख घटाने की धमकी

ग्लोबल रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने फिर भारत की साख घटाने की धमकी दी है। स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडपी) ने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि अगर सरकार आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया और तेज नहीं करती है तो हम इसकी रेटिंग घटा सकते हैं।

By Edited By: Publish:Sat, 18 May 2013 10:23 AM (IST) Updated:Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
एसएंडपी ने दी फिर साख घटाने की धमकी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने फिर भारत की साख घटाने की धमकी दी है। स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडपी) ने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि अगर सरकार आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया और तेज नहीं करती है तो हम इसकी रेटिंग घटा सकते हैं। वहीं, सरकार का कहना है कि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए जो भी संभव होगा, वह कदम उठाया जाएगा।

एसएंडपी की तरफ से जारी ताजा साख आकलन में भारतीय अर्थव्यवस्था की बीबीबी माइनस रेटिंग को बरकरार रखा गया है। मगर यह चेतावनी दी गई है कि इसे और घटाया जा सकता है। पिछले साल एजेंसी ने देश को यह रेटिंग दी थी। इसका मतलब यह हुआ कि भारत निवेश के लिहाज से स्थिर जगह है। इससे नीचे की रेटिंग को कारोबारी दुनिया में 'जंक' यानी कबाड़ की संज्ञा दी जाती है।

इसका मतलब हुआ कि भारत निवेश के लिए सुरक्षित जगह नहीं है। बीबीबी माइनस की रेटिंग के बाद ही केंद्र सरकार ने पिछले कुछ महीनों में आर्थिक सुधारों को लेकर कई अहम फैसले किए। मसलन, डीजल की कीमत बढ़ाने का अधिकार तेल कंपनियों को दिया गया, रसोई गैस सिलेंडर की सीमा तय की गई, उर्वरक सब्सिडी में कटौती का फैसला किया गया, राजकोषीय घाटे पर काबू करने के उपाय किए गए। इन सब उपायों को एसएंडपी ने महत्वपूर्ण तो माना है लेकिन उसका कहना है कि अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। कंपनी के रेटिंग विशेषा ताकाहीरा ओगावा का कहना है कि पिछले दो साल के दौरान खराब प्रदर्शन के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था का बाहरी ढांचा ठीक है। मगर पिछले वित्त वर्ष में दर्ज 4.2 फीसद का राजकोषीय घाटा जो संभवत इस वर्ष बढ़कर 4.5 फीसद हो जाएगा, बहुत बड़ा खतरा है। इसके आधार पर एजेंसी ने कहा है कि तीन में से एक संभावना है कि अगले एक वर्ष के भीतर भारत की रेटिंग घटा दी जाए। अगर सरकार ने निवेश बढ़ाने के लिए कदम नहीं उठाए और बिजली की दिक्कत को खत्म न किया गया तो यह संभव है। इसके साथ ही, एसएंडपी ने यह भी कहा है कि अगर सरकारी व निजी निवेश को बढ़ाने की कोशिश की जाती है, जीएसटी लागू किया जाता है, भूमि अधिग्रहण कानून को पारित करवाया जाता है, ईधन व उर्वरक सब्सिडी को और कम किया जाता है तो भारत की साख बढ़ा कर स्थायी भी किया जा सकता है। एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत में प्रति व्यक्ति आय में 4.6 फीसद वृद्धि का अनुमान लगाया है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान यह वृद्धि दर 3.6 फीसद थी। यह अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा तो है, लेकिन हाल के पांच-छह वर्षो तक भारतीयों की प्रति व्यक्ति आय में छह फीसद की वृद्धि हुई है। वित्त मंत्रलय के मुख्य आर्थिक सलाहकार रघुराम राजन ने कहा है कि एसएंडपी ने सरकार की तरफ से उठाए जा रहे कदमों को स्वीकार तो किया है। इसके बावजूद उसकी तरफ से रेटिंग घटाने की बात कही गई है, जो बेहद निराशाजनक है। हम सही दिशा में काम कर रहे हैं इसलिए बहुत चिंता की बात नहीं है। हाल के महीनों में देश में 17 अरब डॉलर का निवेश हुआ है, जो बताता है कि निवेशक एसएंडपी की सोच को नहीं मानते।

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