PNB बैंक में चल रही थी एक सीक्रेट ब्रांच, जिसने दिया घोटाले को अंजाम

इस शाखा के कुछ कर्मचारी नीरव मोदी समूह की कई कंपनियों मसलन सोलर एक्सपोर्ट्स, स्टेलर डायमंड्स आदि के पक्ष में एलओयू (लेटर ऑफ अंडरटेकिंग) जारी कर रहे थे।

By Shubham ShankdharEdited By: Publish:Fri, 16 Feb 2018 07:31 AM (IST) Updated:Sat, 17 Feb 2018 08:40 AM (IST)
PNB बैंक में चल रही थी एक सीक्रेट ब्रांच, जिसने दिया घोटाले को अंजाम
PNB बैंक में चल रही थी एक सीक्रेट ब्रांच, जिसने दिया घोटाले को अंजाम

नई दिल्ली (जयप्रकाश रंजन)। पीएनबी को हजारों करोड़ की चपत लगाने वाले नीरव मोदी के मददगार बैंक के अंदर ही बैठे थे। सच तो यह है कि 7 साल से चल रही इस घपलेबाजी में शामिल नीरव के मददगार बैंक शाखा के अंदर ही एक गुप्त शाखा चला रहे थे। नीरव मोदी और कुछ अन्य आभूषण कारोबारियों को गलत तरीके से मदद दी जा रही है, इसके बारे में सरकार और पीएनबी के शीर्ष प्रबंधन को समय-समय पर जानकारी मिलती रही, लेकिन इस पर रोक नहीं लगाई जा सकी। इन्हें न तो बैंकों की ऑडिट में पकड़ा जा सका और न ही दूसरी जांच पड़ताल में।

इस शाखा के कुछ कर्मचारी नीरव मोदी समूह की कई कंपनियों मसलन सोलर एक्सपोर्ट्स, स्टेलर डायमंड्स आदि के पक्ष में एलओयू (लेटर ऑफ अंडरटेकिंग) जारी कर रहे थे। एलओयू गारंटी का एक ऐसा पत्र होता है जिसके जरिये ग्राहकों को दूसरे बैंक वित्तीय सुविधा देते हैं। इन सभी कंपनियों का उक्त शाखा में सिर्फ चालू खाता था और उन्हें फंड उपलब्ध कराने की कोई सुविधा नहीं मिली थी। पीएनबी का दावा है कि मुंबई स्थित जिस शाखा से एलओयू जारी किया जा रहा था उसकी जानकारी उच्च स्तर के अधिकारियों तक को नहीं थी।

बैंकिंग उद्योग के लोगों का कहना है कि अगर ऐसा हुआ है तो शाखा प्रबंधक और क्षेत्रीय प्रबंधक के स्तर पर भी बड़ी लापरवाही हुई है। दरअसल, यह पूरा खेल बैंकिंग सिस्टम में चल रहे एक पृथक सॉफ्टवेयर सिस्टम ‘स्विफ्ट’ के जरिये हुआ। आमतौर पर सोसाइटी फॉर वल्र्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्यूनिकेशन (स्विफ्ट) का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैंकिंग ट्रांजेक्शन व मैसेजिंग के लिए होता है।

विदेश की शाखाओं में भी लापरवाही

विदेश स्थित बैंकों की उन शाखाओं के स्तर पर भी लापरवाही बरती गई जिन्हें एक ही कारोबारी के लिए लगातार कई वषों से एक ही शाखा से अरबों रुपये के एलओयू प्राप्त हो रहे थे। नियमों के मुताबिक उन बैंकों के अधिकारियों को इसकी रिपोर्ट पीएनबी के उक्त शाखा प्रबंधक के साथ ही अपने मुख्यालय को भी करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके चलते विदेश स्थित इन बैंकों के कर्मचारियों की भूमिका भी संदेहास्पद होती है। पीएनबी ने यह बात स्वीकार की है कि इस तरह की गड़बड़ी के बारे में वर्ष 2011 में भी पता चला था और उसकी जानकारी संबंधित एजेंसियों को दी गई थी। यही नहीं, नीरव मोदी की कंपनी पर वित्तीय घोटाले को लेकर जांच एजेंसियों की नजर वर्ष 2014 से ही थी। खास तौर पर जिस तरह से नीरव मोदी रत्नों व आभूषणों के निर्यात में गड़बड़ी कर रहे थे, इसकी जांच की जा रही थी। फिर भी पीएनबी ने उनको लेकर कोई एहतियात नहीं बरती।

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