सेबी ने कार्पोरेट गवर्नेंस प्रैक्टिस को लेकर सवाल खड़े किए

सेबी ने देश में कॉरपोरेट गवर्नेंस प्रथाओं को लेकर गंभीर चिंताएं जताई हैं।

By Praveen DwivediEdited By: Publish:Fri, 28 Apr 2017 10:22 PM (IST) Updated:Fri, 28 Apr 2017 10:22 PM (IST)
सेबी ने कार्पोरेट गवर्नेंस प्रैक्टिस को लेकर सवाल खड़े किए
सेबी ने कार्पोरेट गवर्नेंस प्रैक्टिस को लेकर सवाल खड़े किए

नई दिल्ली (पीटीआई)। बाजार नियामक सेबी ने कॉरपोरेट गवर्नेंस प्रथाओं को लेकर चिंता जताई है, जिनमें स्वतंत्र निदेशकों की भूमिका से संबंधित प्रथाएं विशेष रुप से प्रमुख हैं। सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने बताया, “लेखा परीक्षक समिति काम नहीं कर रही है, स्वतंत्र निदेशक स्वतंत्र नहीं हैं और कोई निस्तारण कोड नहीं है, तो जाहिर तौर पर यहां गंभीर मसले हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “यह एक गंभीर मुद्दा है जो सेबी के ध्यान में आया है। हम जल्द ही इस मुद्दे को लेकर चर्चाएं करेंगे।” सेबी की यह टिप्पणी टाटा समूह में हुई उठापटक और इन्फोसिस में प्रबंधन एवं संस्थापकों के बीच हुई तकरार के मद्देनजर ज्यादा महत्वपूर्ण नजर आती है। इन दोनों ही मामलों में बड़ी मुश्किलें खड़ी हुईं और सेबी के साथ-साथ सरकार को भी अल्पसंख्यक निवेशकों एवं अन्य हितधारकों के हितों की रक्षा के लिए इन मसलों पर नजर रखने को मजबूर होना पड़ा।

जनवरी में, सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने सूचीबद्ध कंपनियों में बोर्ड मूल्यांकन पर एक 'मार्गदर्शन नोट' जारी किया था। नियामक ने अपने मार्गदर्शन नोट (गाइडलाइन नोट) में इस बात पर जोर दिया था कि बोर्ड में अध्यक्ष की भूमिका और कार्य के मूल्यांकन को पहले ही स्पष्ट रुप से निर्धारित किया जाना चाहिए, ताकि प्रक्रियागत रुप से अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके।

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