चीन के विकास बैंक AIIB से जुड़ने को उमड़े कई देश, ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड के साथ रूस भी शामिल

चीन द्वारा वित्तपोषित एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) में ऑस्ट्रेलिया और रूस भी शामिल होने जा रहे हैं। 31 मार्च की समयसीमा की समाप्ति से पहले दोनों देशों ने इसमें शामिल होने के लिए दस्तखत किए हैं। इस तरह की भी अटकलें हैं कि अमेरिका भी एआईआईबी में शामिल हो

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Publish:Mon, 30 Mar 2015 10:11 AM (IST) Updated:Mon, 30 Mar 2015 10:26 AM (IST)
चीन के विकास बैंक AIIB से जुड़ने को उमड़े कई देश, ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड के साथ रूस भी शामिल

नई दिल्ली। चीन की अगुवाई वाले एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) में ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड भी शामिल होने जा रहे हैं। 31 मार्च की समयसीमा की समाप्ति से पहले दोनों देशों ने इसमें शामिल होने के लिए दस्तखत किए हैं। इस तरह की भी अटकलें हैं कि अमेरिका भी एआईआईबी में शामिल हो सकता है।

चीन के नेतृत्व वाले एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) से जुडऩे की कतार में रोज नए देश आ रहे हैं। इस कड़ी में नए नाम रूस, ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड के हैं। बीते साल राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 50 अरब डॉलर के इस बैंक की नींव रखी थी। अमेरिकी दबाव की अनदेखी करते हुए ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और इटली पहले ही इससे जुडऩे का एलान कर चुके हैं। तुर्की और दक्षिण कोरिया जैसे अन्य देश भी इसका हिस्सा बनेंगे।

वहीं, अमेरिका इस प्रस्तावित बैंक की पारदर्शिता को लेकर चिंता जाहिर करता रहा है। वह इस बैंक को विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के प्रतिस्पर्धी के रूप में देखता है। जबकि चीन ने इन चिंताओं को खारिज करते हुए कहा है कि नया बैंक विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक का पूरक होगा। इसकी प्रशासन प्रणाली पूरी तरह से पारदर्शी होगी। एआईआईबी का मुख्यालय बीजिंग में होगा। यह एशियाई देशों में बुनियादी ढांचे से जुड़ी बड़ी परियोजनाओं को मदद प्रदान कराएगा।

यह घटनाक्र्रम ऐसे समय हुआ है जब यूरोपीय संघ और एशियाई सरकारें आईएमएफ में सुधार को लेकर अमेरिकी रवैये से बेहद निराश हैं। इसके तहत चीन और भारत समेत अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं को मुद्राकोष में अधिक वोटिंग अधिकार देने की वकालत की गई है। लेकिन, आईएमएफ में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी और वीटो अधिकार वाले अमेरिका के चलते सुधारों का प्रस्ताव 2010 से लटका हुआ है।

प्रस्तावित बैंक को अमेरिकी आर्थिक कूटनीति के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आर्थिक शक्ति पर अंकुश लगाने के लिए अमेरिका प्रयासरत रहा है। एआईआईबी से जुडऩे वाले देशों की बढ़ती संख्या देख हाल में अमेरिकी वित्त मंत्री जैक ल्यू ने चेतावनी दी थी कि आईएमएफ और विश्व बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के लिए अपनी विश्वसनीयता खोने का खतरा पैदा हो गया है।

रूस के प्रथम उप-प्रधानमंत्री ईगोर शुवालोव ने चीन के बोआओ में आयोजित वार्षिक एशियाई आर्थिक सम्मेलन के दौरान कहा कि प्रस्तावित बैंक से जुडऩे के लिए रूस जल्द ही आवेदन करेगा। इसी दौरान ऑस्ट्रेलिया के वित्त मंत्री एम कॉरमैन ने भी आवेदन करने के फैसले का एलान किया। इससे पूर्व चीन के वित्त मंत्री ने बताया कि ऑस्ट्रिया भी आवेदन कर चुका है। ब्रिटेन और स्विट्जरलैंड को एआईआईबी के संस्थापक सदस्यों के तौर पर स्वीकार कर लिया गया है।

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