रुपये को लेकर सांसत में सरकार

रुपये की कीमत को लेकर सांसत में फंसी सरकार की दिक्कतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सरकार के कदमों को दरकिनार कर रहे बाजार ने मंगलवार को लड़खड़ा रहे रुपये को एक और झटका दिया। इस दिन रुपया डॉलर के मुकाबले लुढ़ककर नई तलहटी में पहुंच गया। अंतर बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में कारोबार की शुरुआत में ही एक डॉलर की कीमत 64 रुपये को पार गई। अलबत्ता बाद में रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप के बाद घरेलू मुद्रा 63.25 रुपये प्रति डॉलर पर टिकी। ब्रिटिश पौंड के मुकाबले रुपया तो 100 के स्तर से भी नीचे चला गया।

By Edited By: Publish:Wed, 21 Aug 2013 05:41 AM (IST) Updated:Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
रुपये को लेकर सांसत में सरकार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रुपये की कीमत को लेकर सांसत में फंसी सरकार की दिक्कतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सरकार के कदमों को दरकिनार कर रहे बाजार ने मंगलवार को लड़खड़ा रहे रुपये को एक और झटका दिया। इस दिन रुपया डॉलर के मुकाबले लुढ़ककर नई तलहटी में पहुंच गया। अंतर बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में कारोबार की शुरुआत में ही एक डॉलर की कीमत 64 रुपये को पार गई। अलबत्ता बाद में रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप के बाद घरेलू मुद्रा 63.25 रुपये प्रति डॉलर पर टिकी। ब्रिटिश पौंड के मुकाबले रुपया तो 100 के स्तर से भी नीचे चला गया।

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बाजार को बड़े एलान का इंतजार

सरकार की तरफ से किसी बड़े सुधार के एलान की इंतजार में रुपया मंगलवार को 64.13 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक आ गया। बेहाल रुपये में सामान्य स्थित बहाल करने को लेकर वित्त मंत्रालय में बैठकों का सिलसिला भी जारी रहा। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन सी रंगराजन के साथ रुपये पर चर्चा की। इससे पहले चिदंबरम ने आर्थिक मामलों के विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर हालात का जायजा लिया। इसमें घरेलू मुद्रा के मूल्य में गिरावट को रोकने के लिए संभावित उपायों पर विचार-विमर्श किया। बाजार के जानकारों का कहना है कि जब तक सरकार की तरफ से एकमुश्त 10 से 15 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा आवक सुनिश्चित करने वाला एलान नहीं होगा, रुपये को संभालना मुश्किल होगा।

आरबीआइ ने दिया दखल

डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में तेज गिरावट को देखते हुए रिजर्व बैंक को अंतत: मंगलवार को मुद्रा बाजार में उतरना पड़ा। बाजार सूत्रों के मुताबिक आरबीआइ ने सरकारी बैंकों की मार्फत बाजार में डॉलर बेचे। साथ ही साथ केंद्रीय बैंक ने डॉलर-रुपये में हुए वायदा सौदों की बिक्री भी शुरू की है। आरबीआइ ने इन सौदों में जून-जुलाई के महीने में खरीद की थी। रिजर्व बैंक ने डॉलर की कीमत 63.85 रुपये होने पर हस्तक्षेप किया। इस हस्तक्षेप के बावजूद मुद्रा बाजार में डॉलर की मांग में कमी नहीं आई है। तेल कंपनियों समेत आयातकों की मांग जस की तस है। इससे बाजार एक डॉलर की कीमत 65 रुपये तक जाने का अनुमान लगा रहा है।

शेयर बाजार में गिरावट जारी

रुपये की कीमत के साथ साथ शेयर बाजार में भी गिरावट जारी रही। शुरुआती कारोबार में 18000 अंक से नीचे उतरा बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स रुपये में हुए सुधार के बाद कुछ संभल गया। इसके बावजूद यह 61.48 अंक की गिरावट के साथ 18246.04 पर बंद हुआ। तीन दिनों में यह सूचकांक 1100 अंक से ज्यादा का नुकसान उठा चुका है। इसी प्रकार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई का निफ्टी 13.30 अंक टूटकर 5401.5 पर पहुंच गया।

रेटिंग एजेंसियों ने जताई चिंता

डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती कीमत से हलकान अर्थव्यवस्था को लेकर ग्लोबल रेटिंग एजेंसियां भी चिंता जताने लगी हैं। स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडपी) ने तो भविष्य में निवेश का माहौल और खराब होने की आशंका जताई है। मूडीज ने कहा है कि जब तक चालू खाते के घाटे को सरकार कम नहीं करेगी रुपये पर दबाव बना रहेगा। अलबत्ता दोनों ही एजेंसियों ने ने मौजूदा हालात में भारत की रेटिंग को लेकर किसी बदलाव की संभावना से इन्कार किया है।

अमेरिकी सुधार का असर

अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेतों के बाद रुपये में लगातार गिरावट का रुख बना हुआ है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के राहत पैकेज की वापसी के संकेतों के बाद वहां के सरकारी बांडों पर ब्याज दर लगातार बढ़ रही है। इसके चलते विदेशी निवेशकों का रुझान उभरते बाजारों से कम हो रहा है। सभी उभरते बाजारों की मुद्राओं पर इसका असर हुआ है। पूरे बाजार की निगाहें अब बुधवार को होने वाली फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक पर टिक गई हैं।

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