NPA छिपाने वाले बैंकों को RBI ने दी चेतावनी

सरकार की तरफ से हाल ही में 2.1 लाख करोड़ रुपये के वित्तीय मदद का जो पैकेज दिया गया है

By Surbhi JainEdited By: Publish:Thu, 07 Dec 2017 11:08 AM (IST) Updated:Thu, 07 Dec 2017 11:08 AM (IST)
NPA छिपाने वाले बैंकों को RBI ने दी चेतावनी
NPA छिपाने वाले बैंकों को RBI ने दी चेतावनी

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। फंसे कर्जे (एनपीए) को छिपाने वाले बैंकों को एक बार फिर रिजर्व बैंक ने चेतावनी दी है। गवर्नर डॉ. उर्जित पटेल ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि हर बैंक को मौजूदा नियमों का पालन करते हुए फंसे कर्जो को बाहर लाने के लिए कदम उठाना चाहिए। इसके साथ ही आरबीआइ ने सरकार की तरफ से दिए जाने वाले वित्तीय मदद पर नजर जमाये बैंकों को भी यह संकेत दे दिया है कि प्रदर्शन के आधार पर ही पूंजी आधार बनाने के लिए पूंजी दी जाएगी। अगर बैंक यह समझ रहे हैं कि वे अपने संचालन को सुधार बगैर ही केंद्र से राशि हासिल कर सकते हैं तो यह उनकी गलतफहमी है।

मौद्रिक नीति की समीक्षा करने के बाद पटेल और उनके अन्य वरिष्ठ साथियों ने दोटूक कह दिया है कि सरकार की तरफ से हाल ही में 2.1 लाख करोड़ रुपये के वित्तीय मदद का जो पैकेज दिया गया है वह एक तरह से अंतिम मदद हो सकती है। गवर्नर पटेल के मुताबिक, ‘सरकार का फैसला सिर्फ पूंजीकरण के लिए मदद देने से जुड़ी हुई नहीं है बल्कि यह सुधार से जुड़ी हुई है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इस राशि का इस्तेमाल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत करने के लिए किया जाए।’ उनका इशारा पिछले एक दशक से लगातार सरकारी बैंकों को दी जाने वाली वित्तीय मदद की तरफ था। सरकार जब मदद देती है तो बैंकों का पूंजी आधार मजबूत हो जाता है और वे ज्यादा कर्ज देना शुरू कर देते हैं।

सरकार की ओर से बैंकों को पूंजी तभी मिलेगी जब वे अपने प्रदर्शन में सुधार दिखाएंगे। उनके लिए यह आखिरी मदद हो सकती है।

जनता, सरकार और इंडिया इंक निराश
आरबीआइ के इस फैसले से आम जनता के साथ ही उद्योग जगत और सरकार को भी निराशा हाथ लगी है। आम लोगों की होम या ऑटो लोन के सस्ता होने की उम्मीद खत्म हो गई है। सरकार यह सोच रही थी कि ब्याज दरों में कमी के बाद मांग बढ़ेगी। इससे देश की आर्थिक विकास दर बढ़ाने में मदद मिलेगी। वित्त मंत्रलय का कहना है कि महंगाई नियंत्रण में है।

आरबीआइ ने चिंता जताई
महंगाई के साथ ही आरबीआइ ने विश्व स्तर पर चल रही अस्थिरता और सरकार की राजकोषीय स्थिति को लेकर भी चिंता जताई है। अमेरिका समेत कई देशों में ब्याज दर बढ़ने के आसार बनने को भी एक कारक बताया गया है। आरबीआइ ने चालू वित्त वर्ष के लिए विकास दर के अनुमान को 6.7 फीसद पर बरकरार रखा है।

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