रूबल में कारोबार करने की मुहिम को धक्का
रूस की मुद्रा रूबल में भारी गिरावट से भारत सरकार भी सतर्क हो गई है। कुछ हफ्ते पहले तक रूस के साथ स्थानीय मुद्रा में कारोबार की रणनीति बनाने में जुटे वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक के अधिकारियों ने अपनी मुहिम की रफ्तार धीमी कर दी है। दरअसल, रूस के
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। रूस की मुद्रा रूबल में भारी गिरावट से भारत सरकार भी सतर्क हो गई है। कुछ हफ्ते पहले तक रूस के साथ स्थानीय मुद्रा में कारोबार की रणनीति बनाने में जुटे वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक के अधिकारियों ने अपनी मुहिम की रफ्तार धीमी कर दी है। दरअसल, रूस के साथ ही इंडोनेशिया, तुर्की समेत तमाम विकासशील देशों की स्थानीय मुद्रा में भारी गिरावट से भारत की चिंता बढ़ी है। ऐसे समय जब सरकार भारतीय उत्पादों के लिए विकासशील देशों में नया बाजार तलाश रही है, इन देशों की मुद्राओं में गिरावट उसकी रणनीति को काफी प्रभावित कर सकती है।
रूबल में गिरावट को थामने के लिए पुतिन सरकार की तरफ से आधी रात में ब्याज दरों को बढ़ाने का अप्रत्याशित कदम भी कारगर साबित नहीं हुआ है। इसकी वजह से दलाल स्ट्रीट समेत एशियाई बाजारों में मंगलवार को गिरावट आई। इंडोनेशिया की स्थानीय मुद्रा रुपिया में वर्ष 1997 के मुद्रा संकट के बाद की सबसे तेज गिरावट हुई है। दक्षिण कोरिया सरकार ने अपनी मुद्रा वोन की कमजोरी को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने शुरू भी कर दिए हैं। यही हाल सिंगापुर डॉलर का है। भारतीय रुपया भी सबसे तेजी से गिरने वाली मुद्राओं में शामिल है। कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने एक साथ तमाम विकासशील देशों की मुद्राओं में गिरावट को एक बुरे दौर की शुरुआत के तौर पर पेश किया है। कुछ ने तो मौजूदा हालात की तुलना वर्ष 1997-98 की मुद्रा संकट से कर दी है।
कोटक महिंद्रा बैंक के वाइस चेयरमैन एवं एमडी कोटक महिंद्रा का कहना है, 'कई विदेशी मुद्राओं में इस तरह की गिरावट होना काफी चिंता पैदा करता है। भारत को तत्काल डरने की जरूरत तो नहीं है, लेकिन हमें सतर्क रहने की दरकार है।' जानकारों का यह भी कहना है कि मुद्रा बाजार की यह डांवाडोल स्थिति से घरेलू शेयर बाजार भी काफी प्रभावित होगा। वेल्थरे सिक्योरिटीज के डायरेक्टर किरन कुमार कविकोंडाला का कहना है कि मुद्राओं में अवमूल्यन के साथ ही क्रूड व जिंसों की कीमतों में गिरावट से तमाम शेयर बाजार प्रभावित रहेंगे। मंगलवार को घरेलू शेयर बाजार में 538 अंकों की गिरावट इन वजहों का ही नतीजा है।
जानकारों के मुताबिक रूबल की कीमत में इतनी भारी गिरावट के बाद भारत सरकार शायद ही हाल फिलहाल रूस के साथ स्थानीय मुद्रा में कारोबार को बढ़ावा देगी। दोनों देशों के केंद्रीय बैंकों ने इसके लिए एक समिति का भी गठन किया है। राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की हाल की भारत यात्रा के दौरान इस पर बातचीत भी हुई थी।
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