किंगफिशर मामले में जांच की जद में सरकारी अधिकारी

एसएफआइओ ने अपनी रिपोर्ट में बिना जांच किए किंगफिशर एयरलाइंस का लोन बढ़ाने के मामले में बैंकों के अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं

By Surbhi JainEdited By: Publish:Mon, 09 Oct 2017 11:30 AM (IST) Updated:Mon, 09 Oct 2017 11:30 AM (IST)
किंगफिशर मामले में जांच की जद में सरकारी अधिकारी
किंगफिशर मामले में जांच की जद में सरकारी अधिकारी

नई दिल्ली (जेएनएन)। भगोड़े व्यवसायी विजय माल्या और उसकी बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस के खिलाफ जांच कर रही एजेंसियों ने अब दायरा बढ़ा दिया है। सूत्रों के मुताबिक, इस मामले में अब बैंक अफसरों, निदेशकों और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भी जांच की जाएगी। गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआइओ) ने किंगफिशर एयरलाइंस में हुई गड़बडियों को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है। इन्हीं गड़बड़ियों के चलते कंपनी बाद में बंद हो गई। इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार, नियामक और बैंक ऐसे कदम उठा रहे हैं, जिससे कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति बच नहीं सके।

इस रिपोर्ट में जांच एजेंसी ने विजय माल्या, किंगफिशर एयरलाइंस और इसके अधिकारियों की तरफ से कंपनी कानून के उल्लंघन के मामलों की जानकारी दी है। इनमें कॉरपोरेट गवर्नेस नियमों के उल्लंघन के कई गंभीर मामले भी हैं। रिपोर्ट में कहा गया है तत्कालीन स्वतंत्र निदेशकों ने अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई। इसके चलते एयरलाइंस संकट में आई और अंत में बंद हो गई।

सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट में बिना जांच किए किंगफिशर एयरलाइंस का लोन बढ़ाने के मामले में बैंकों के अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाया गया है। इस बात की भी आशंका जताई गई है कि इसमें सरकारी अफसरों की मिलीभगत भी हो सकती है। एसएफआइओ को जिन बैंकों में गड़बड़ी मिली है, उन्हें जांच के दायरे में लाया जाएगा। कंपनी की बैलेंसशीट कभी भी इतनी मजबूत नहीं थी, जिसके आधार पर उसने इतना कर्ज दे दिया गया। इसके बावजूद बैंकों ने उसे लोन दिया। बैंक अधिकारियों ने कई नियमों की भी अनदेखी की।

माल्या व किंगफिशर एयरलाइंस पर विभिन्न बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज बकाया है। वह इस समय भागकर ब्रिटेन पहुंचा हुआ है। भारत सरकार वहां से माल्या के प्रत्यर्पण का प्रयास कर रही है।

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