चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में 9.5 फीसद की गिरावट संभव, ब्याज दरों में फिलहाल कोई बदलाव नहीं: RBI

RBI Monetary Policy पहली तिमाही यानी अप्रैल-जुलाई 2020 के दौरान विकास दर में 23.9 फीसद की भारी गिरावट के बाद चौथी तिमाही यानी जनवरी-मार्च 2021 के दौरान ही आर्थिक विकास दर के सकारात्मक यानी शून्य से ऊपर जाने की उम्मीद है।

By Pawan JayaswalEdited By: Publish:Fri, 09 Oct 2020 10:47 AM (IST) Updated:Fri, 09 Oct 2020 04:49 PM (IST)
चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में 9.5 फीसद की गिरावट संभव, ब्याज दरों में फिलहाल कोई बदलाव नहीं: RBI
भारतीय रिज़र्व बैंक P C : Reuters

नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। वित्त वर्ष के छह महीने गुजर जाने के बाद रिजर्व बैंक ने विकास दर को लेकर स्थिति स्पष्ट की है। शुक्रवार को मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए आरबीआइ गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास ने वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान देश की इकोनॉमी में 9.5 फीसद की गिरावट रहने का अनुमान लगाया है। साथ ही यह भी कहा है कि इसमें और गिरावट का अंदेशा है।

पहली तिमाही यानी अप्रैल-जुलाई, 2020 के दौरान विकास दर में 23.9 फीसद की भारी गिरावट के बाद चौथी तिमाही यानी जनवरी-मार्च, 2021 के दौरान ही आर्थिक विकास दर के सकारात्मक यानी शून्य से ऊपर जाने की उम्मीद है। इकोनॉमी में वर्ष 2021-22 की दूसरी-तिमाही से ज्यादा मजबूती आने की संभावना भी उन्होंने जताई है। 

मौद्रिक नीति की समीक्षा के दौरान डॉ. दास ने ब्याज दरों को लेकर कोई बदलाव नहीं करने का ऐलान किया है। यह बाजार व विशेषज्ञों के उम्मीद के मुताबिक है। यानी होम लोन, ऑटो लोन जैसे सावधि कर्ज की दरों को प्रभावित करने वाली रेपो रेट 4 फीसद पर बरकरार रहेगी।

जब बैंक अपनी अल्पकालिक आवश्यकताओं के लिए केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं तो उस पर देय ब्याज दर को रेपो रेट कहा जाता है। इसी तरह से रिवर्स रेपो रेट को 3.5 फीसद पर स्थिर रखा गया है। आरबीआइ का कहना है कि अभी बैंकों के पास तरलता (फंड) की कोई कमी नहीं है और दूसरी तरफ महंगाई की स्थिति भी बहुत संतोषजनक नहीं है। इसलिए ब्याज दरों को मौजूदा स्तर पर ही बना कर रखा गया है। लेकिन आरबीआइ गवर्नर ने यह भी आश्वासन दिया है कि अगर देश की इकोनोमी को रिवाइल के लिए ब्याज दरों को लेकर और कदम उठाने की जरुरत महसूस की जाती है तो उसमें कोई कोताही नहीं होगी। 

सनद रहे कि चालू वित्त वर्ष की शुरुआत कोविड के साथ हुई थी और इकोनोमी की दिशा व दशा को लेकर भारी अनिश्चितता थी इसलिए केंद्रीय बैंक आर्थिक विकास दर के लक्ष्य को लेकर कोई लक्ष्य नहीं कर पा रहा था। अब जबकि काफी कुछ स्पष्ट हो गया है और दुनिया के तमाम एजेंसियों ने भारत की विकास दर के बारे में अपने अनुमान जारी कर दिए हैं तो आरबीआइ के लिए भी ऐसा करना आसान हो गया है।

एक दिन पहले ही विश्व बैंक ने कहा है कि वर्ष 2020-21 में भारत की विकास दर 9.7 फीसद रहेगी। विश्व बैंक ने वर्ष 2021-22 के लिए 5.4 फीसद और वर्ष 2022-23 के लिए 5.2 फीसद की विकास दर का अनुमान लगाया है। वैसे आरबीआइ गवर्नर का कहना है कि भारतीय इकोनोमी ने कोविड महामारी में भी चुनौतियों का सामना करने का जबरदस्त जज्बा दिखाया है। अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही से इकोनॉमी ज्यादा तेज हो सकती है। 

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