मार्च से पहले नहीं सुधर सकती नकदी की स्थिति: नोमुरा
नोटबंदी के फैसले के बाद भले ही नकदी कि स्थिति में फरवरी अंत तक सुधार के दावे किए जा रहे हों लेकिन वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी नोमुरा इससे इतर राय रखती है
नई दिल्ली: नोटबंदी के फैसले के बाद भले ही नकदी कि स्थिति में फरवरी अंत तक सुधार के दावे किए जा रहे हों लेकिन वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी नोमुरा इससे इतर राय रखती है। एजेंसी का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी का असर अभी भी जारी है और मार्च तक सिस्टम में पर्याप्त नकदी न आने की उम्मीद से नकदी की स्थिति सामान्य होने की संभावना काफी कम है। गौरतलब है कि नोटबंदी का फैसला बीते साल 8 नवंबर को लिया गया था।
रिपोर्ट में और क्या कहा गया:
रिपोर्ट में कहा गया है कि मात्रा के हिसाब से भारतीय निर्यात में कमी से यह पता चलता है कि नोटबंदी का असर अभी भी नकदी आधारित क्षेत्रों पर बरकरार है। वहीं इस रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि नकदी की कमी से आने वाले दो महीनों तक मात्रा के हिसाब से व्यापार कम होने के आसार हैं। नोमूरा के रिसर्च नोट में कहा गया है, “हम इसकी व्याख्या प्रतिस्पर्धा में कमी के संकेतक के रूप में नहीं कर रहे हैं।”
क्या कहा नोमुरा ने:
नोमूरा इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने नोट में कहा, “हमारा अनुमान है कि व्यापार की मात्रा अभी एक या दो महीने और कम रहेगी क्योंहकि अर्थव्यवस्था में नकदी का स्तर मार्च महीने के अंत से पहले पर्याप्त होने की उम्मीद नहीं है।”
220.9 अरब डॉलर का रहा सकल निर्यात:
अप्रैल-जनवरी अवधि के दौरान सकल निर्यात 1.09 फीसद इजाफे के साथ 220.9 अरब डॉलर का रहा, जबकि बीते साल की समान अवधि में यह 218.5 अरब डॉलर रहा था। मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया, “जनवरी 2017 में गैर पेट्रोलियम निर्यात 19.42 अरब डॉलर रहा था, जबकि जनवरी 2016 में यह 19.11 अरब डॉलर था। इस तरह इसमें 1.6 फीसद की वृद्धि हुई है।”
आयात हुआ कम:
वहीं अप्रैल-जनवरी के दौरान सकल आयात 307.3 अरब डॉलर का रहा, जो कि बीते वित्त वर्ष की समान अवधि के 326.3 अरब डॉलर के आयात से 5.81 फीसद कम है।