निजी क्षेत्र को सौंपे जाएंगे टोल वाले 104 राजमार्ग

तैयार राजमार्गो के बेहतर रखरखाव के लिए सरकार टोल आधारित राष्ट्रीय राजमार्गो को लंबी अवधि के लिए निजी कंपनियों को सौंपने और उनसे एकमुश्त कमाई करने पर विचार कर रही है। इस संबंध में सड़क निर्माण क्षेत्र की कंपनियों और वित्तीय संस्थाओं के साथ विचार-विमर्श किया जा रहा है। इस

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Publish:Sat, 01 Aug 2015 08:15 AM (IST) Updated:Sat, 01 Aug 2015 08:21 AM (IST)
निजी क्षेत्र को सौंपे जाएंगे टोल वाले 104 राजमार्ग

संजय सिंह, नई दिल्ली। तैयार राजमार्गो के बेहतर रखरखाव के लिए सरकार टोल आधारित राष्ट्रीय राजमार्गो को लंबी अवधि के लिए निजी कंपनियों को सौंपने और उनसे एकमुश्त कमाई करने पर विचार कर रही है। इस संबंध में सड़क निर्माण क्षेत्र की कंपनियों और वित्तीय संस्थाओं के साथ विचार-विमर्श किया जा रहा है। इस संबंध में बृहस्पतिवार को एक प्रेजेंटेशन पेश किया गया। इसके अनुसार इस समय देश में सार्वजनिक धन से निर्मित जिन 104 राष्ट्रीय राजमार्गो पर टोल की वसूली की जा रही है, उन सभी को एकमुश्त रकम के एवज में लंबी अवधि के लिए निजी कंपनियों को परिचालन व रखरखाव के लिए सौंपा जा सकता है।

केंद्र का मानना है कि एनएचएआइ व पीडब्लूडी जैसी सरकारी एजेंसियां न तो इन राजमार्गो का सही ढंग से रखरखाव कर पा रही हैं और न ही उनकी टोल वसूली का तरीका आधुनिक व सुविधाजनक है। इससे सरकार के पैसे की बर्बादी तो हो ही रही है, टोल की वसूली में भी चोरी से नुकसान हो रहा है। यदि इन राष्ट्रीय राजमार्गो को निजी रोड डेवलपर्स के हवाले कर दिया जाए तो न केवल सरकार का पैसा बचेगा, बल्कि उससे नए राजमार्गो का निर्माण किया जा सकेगा, जिनमें निजी कंपनियां वित्तीय कमी व जोखिम के कारण आने में हिचकती हैं।

कम जोखिम के कारण निजी कंपनियों की रुचि प्राय: तैयार परियोजनाओं में ज्यादा रहती है। ऐसे में बनी-बनाई सड़कों के रखरखाव व टोल वसूली के काम में उन्हें मौका देकर सरकार राजस्व में कई गुना बढ़ोतरी कर सकती है। इसके लिए इन कंपनियों से टोल वसूली की अवधि के लिए एकमुश्त कन्सेशन शुल्क लिया जा सकता है। इस पैसे के प्रतिभूतिकरण के जरिए एनएचएआइ को बाजार से बड़े पैमाने पर कर्ज हासिल हो सकता है।

नई परियोजनाओं के लिए एनएचएआइ को भारी मात्र में कर्ज जुटाने की जरूरत है। निजी कंपनियों की वित्तीय दिक्कतों व जोखिम के कारण सड़क परियोजनाओं में देरी व लागत होने से यह कर्ज एनएचएआइ को नहीं मिल पा रहा है।

अध्ययन में पाया गया है कि 104 टोल आधारित सड़क परियोजनाओं में 42 फीसद परियोजनाओं पर हर साल कुल परियोजना लागत का 10 फीसद टोल वसूल होता है, जबकि 23 फीसद परियोजनाओं में 5-10 फीसद व 33 फीसद में पांच फीसद सालाना के हिसाब से टोल की वसूली हो रही है। इस प्रकार 10 से 20 साल में इन परियोजनाओं की लागत निकल आएगी।

ज्यादातर परियोजनाओं में आधी से ज्यादा लागत वसूल हो चुकी है। लिहाजा इन्हें निजी कंपनियों को सौंपने से एनएचएआइ को सैकड़ों करोड़ की एकमुश्त धनराशि मिल सकती है। इससे हजारों करोड़ का ऋण लिया जा सकता है।

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