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बेतहाशा गर्मी में इस साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची बिजली की मांग

गर्मी बढ़ने से बिजली संयंत्रों के रख-रखाव भी चुनौतीपूर्ण हुआ । इसके साथ ही 49.2 हजार मेगावाट क्षमता की बिजली की आपूर्ति भी प्रभावित हुई। बिजली की मांग जून में 2.40 लाख और सितंबर में 2.60 लाख मेगावाट पहुंचने के आसार है। भीषण गर्मी में आने वाले दिनों में भी बिजली की मांग में काफी तेजी से इजाफा होने की संभावना को देखते हुए लगातार निगरानी की जा रही है।

By Jagran News Edited By: Ankita Pandey Published: Wed, 22 May 2024 08:30 PM (IST)Updated: Wed, 22 May 2024 08:30 PM (IST)
बेतहाशा गर्मी में इस साल के रिकार्ड स्तर पर पहुंची बिजली की मांग

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। सोमवार (20 मई, 2024) को सुबह से ही बिजली की मांग ने 2.30 लाख मेगावाट को पार कर लिया था। इससे बिजली मंत्रालय के साथ ही बिजली आपूर्ति प्रबंधन से जुड़े विभागों के अधिकारियों के माथे पर चिंता की लहर थी कि इतनी बड़ी मांग का प्रबंधन कैसे होगा।

दोपहर तीन बजे बिजली की राष्ट्रीय मांग 2.38 लाख मेगावाट को भी पार कर गया लेकिन देश के किसी भी हिस्से से बिजली की बड़ी कटौती की सूचना नहीं आई। केंद्रीय बिजली मंत्रालय का दावा है कि जिन शहरों में बिजली कटौती हो रही है वह बिजली की कमी की वजह से नहीं बल्कि स्थानीय स्तर पर तकनीकी वजहों से या फिर वहां की राज्य सरकारों की तरफ से पर्याप्त बिजली नहीं खरीदे जाने की वजह से हो रही है।

भीषण गर्मी में आने वाले दिनों में भी बिजली की मांग में काफी तेजी से इजाफा होने की संभावना को देखते हुए लगातार निगरानी की जा रही है। मंत्रालय का सबसे ज्यादा जोर फिलहाल ताप बिजली संयंत्रों को पर्याप्त कोयला आपूर्ति कराने पर है।

ज्यादा गर्मी होने की वजह से ज्यादा बिजली आपूर्ति

सरकारी सूत्रों का कहना है कि ज्यादा गर्मी होने की वजह से सिर्फ ज्यादा बिजली की आपूर्ति को सुनिश्चित करना ही एक चुनौती नहीं है बल्कि इस मौसम में विभिन्न ताप बिजली संयंत्रों को सही तरीके से संचालन करना भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। बिजली मंत्रालय ने गर्मी के मौसम की शुरुआत में ही सभी संयंत्रों को कहा था कि वह गैर-योजनागत रखरखाव को कम किया जाए लेकिन अभी तक के आंकड़े बताते हैं कि ऐसा नहीं हो सका है।

सरकार के आंकड़े ही बताते हैं कि 20 मई, 2024 तक 49,239 मेगावाट क्षमता के संयंत्रों में उत्पादन नहीं हो पा रहा है क्योंकि इन्हें रख-रखाव के लिए बंद किया गया है। इनमें सिर्फ 6,368 मेगावाट क्षमता के संयंत्रों का मेंटेनेंस ही पहले से प्लान किया हुआ था। बाकी में अचानक ही दिक्कतें पैदा हुई हैं। इस वजह से मई, 2024 में बिजली की मांग निर्धारित लक्ष्य से 2.74 फीसद कम रही है। अगर कोयला आपूर्ति के मामले में मुस्तैदी नहीं दिखाई गई होती तो यह स्थिति और खराब हो सकती थी।

सरकार का डाटा यह भी बताता है कि बिजली की मांग बढ़ने के साथ ही कोयले की आपूर्ति भी बढ़ा दी गई है। देश में जितनी बिजली की आपूर्ति हो रही है उसका 55 फीसद अभी भी ताप बिजली घरों से हो रही है। मई माह की स्थिति देखें तो शुरुआत में रोजाना 22.40 लाख टन रोजाना कोयले की आपूर्ति हो रही थी जो अब बढ़ कर 23.55 लाख टन रोजाना पहुंच गया है।

आयातित कोयले से बिजली की मांग पूरी?

आयातित कोयले की आपूर्ति तकरीबन स्थिर (65 हजार से एक लाख टन रोजाना) बनी हुई है। इससे बिजली की मांग पूरी करने में एजेंसियों को खास दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा है। सरकारी अधिकारी बताते हैं कि असल चुनौती अगस्त-सितंबर, 2024 के महीने में आने की संभावना है जब देश में बिजली की मांग 2.60 लाख टन के स्तर को पार कर जाने के कयास लगाये जा रहे हैं। तब मानसून की वजह से कोयले की आपूर्ति प्रभावित होती है और मानसून के बाद उमस की वजह से पूरे देश में बिजली की मांग बढ़ जाती है।

सितंबर, 2023 में बिजली की मांग 2.43 लाख मेगावाट तक चली गई थी लेकिन उसे पूरा करने में कोई खास परेशानी नहीं हुई थी। जून, 2024 में बिजली की मांग 2.40 लाख मेगावाट रहने की उम्मीद है और इसी हिसाब से मंत्रालय फिलहाल काम कर रहा है।

 


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