मौसमी आपदाओं से निपटने को अंतरराष्ट्रीय फंड जुटा रहा नाबार्ड

कृषि क्षेत्र पर लगातार पड़ती मौसमी मार से निपटने को राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने कमर कस ली है। किसानों को प्रशिक्षित करने के साथ उन्हें मदद के लिए वह अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से भी फंड जुटाने की कोशिश कर रहा है।

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Publish:Fri, 03 Apr 2015 09:37 PM (IST) Updated:Fri, 03 Apr 2015 09:41 PM (IST)
मौसमी आपदाओं से निपटने को अंतरराष्ट्रीय फंड जुटा रहा नाबार्ड

मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। कृषि क्षेत्र पर लगातार पड़ती मौसमी मार से निपटने को राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने कमर कस ली है। किसानों को प्रशिक्षित करने के साथ उन्हें मदद के लिए वह अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से भी फंड जुटाने की कोशिश कर रहा है।

नाबार्ड के चेयरमैन डॉ हर्ष कुमार भानवाला के अनुसार बैंक ने मौसम की मार से निपटने के लिए एक अलग विभाग की शुरुआत की है। इसे क्लाइमेट वर्टिकल नाम दिया है। यह मौसम परिवर्तन से होने वाली समस्याओं का अध्ययन करेगा। साथ ही इनसे निपटने के लिए योजनाएं बनाएगा। विभिन्न राज्य सरकारों के साथ तालमेल बैठा एवं फंड जुटाकर उन्हें उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी भी इसी विभाग की होगी।

इन्हीं तैयारियों के तहत नाबार्ड ने बदलते मौसम के प्रतिकूल प्रभावों से पार पाने को आर्थिक सहायता देने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था 'अडैप्टेशन फंड बोर्ड' की मान्यता के प्रयास शुरू कर दिए हैं। संस्था आमतौर पर सौर ऊर्जा, बिजली इत्यादि के लिए ही फंड उपलब्ध कराती है। कृषि क्षेत्र को अब तक संस्था से सिर्फ 17 फीसद फंड ही उपलब्ध हुआ है। नाबार्ड ने कृषि संबंधी पांच प्रोजेक्ट बनाकर इस संस्था को सौंपे हैं। इनमें से दो के लिए संस्था 3.2 करोड़ डॉलर (करीब 200 करोड़ रुपये) देने पर राजी हो गई है।

इसी प्रकार नाबार्ड ने पिछले वर्ष ही स्थापित एक और अंतरराष्ट्रीय संस्था ग्रीन क्लाइमेट फंड में भी भारत की मान्यता के प्रयास शुरू कर दिए हैं। इस फंड की स्थापना संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने मिलकर की है। माना जा रहा है कि जून में होने वाली संस्था की बैठक में भारत की मान्यता का रास्ता साफ हो जाएगा। इसके बाद वह फंड के लिए आवेदन कर सकेगा।

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