‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ में मददगार बने एडीबी: जेटली

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से भारत के इंफ्रास्ट्रकचर क्षेत्र के अलावा स्मार्ट सिटी, इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, रेल कॉरिडोर इत्यादि क्षेत्रों में भी मदद करने की गुजारिश की है। जेटली ने कहा कि एडीबी को विनिर्माण के साथ ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ के माध्यम से

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Publish:Tue, 05 May 2015 10:38 AM (IST) Updated:Tue, 05 May 2015 10:48 AM (IST)
‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ में मददगार बने एडीबी: जेटली

बाकू । वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से भारत के इंफ्रास्ट्रकचर क्षेत्र के अलावा स्मार्ट सिटी, इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, रेल कॉरिडोर इत्यादि क्षेत्रों में भी मदद करने की गुजारिश की है। जेटली ने कहा कि एडीबी को विनिर्माण के साथ ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ के माध्यम से रोजगार पैदा करने में मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एडीबी को न सिर्फ बड़ा, बल्कि बेहतर बनाने की भी जरूरत है।

जेटली ने अजरबैजान के बाकू में एडीबी की 48वीं वार्षिक बैठक में कहा कि भारत और एडीबी का संबंध बहुत लाभदायक है तथा भारत एडीबी का सबसे बड़ा ग्राहक है। उन्होंने कहा कि एडीबी को भारत के साथ संबंधों को नये मुकाम पर ले जाने की जरूरत है। इसके लिए एडीबी को परंपरागत इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निवेश के साथ ही नये क्षेत्रों में निवेश बढ़ाकर संबंधों को और प्रगाढ किया जाना चाहिए।

वित्त मंत्री ने वैश्विक अर्थव्यवस्था का जिक्र करते हुए कहा कि यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था वर्ष 2014 से कुछ बेहतर है। पिछले वर्ष वैश्विक विकास अनुमान से कुछ कम रहा है। उन्होंने कहा एशिया-प्रशांत क्षेत्र विश्व अर्थव्यवस्था के इंजन की तरह काम रहा है।

एडीबी ने चालू वर्ष और अगले वर्ष एशिया के 6.3 फीसदी की गति से बढ़ने का अनुमान लगाया है। जेटली ने कहा कि दुनिया की प्रमुख संस्थाओं ने वर्ष 2015 और 16 के दौरान भारत की विकास दर के 7.5 प्रतिशत से 8.0 प्रतिशत तक रहने का अनुमान लगाया है। इससे भारत की वृद्धि परिदृश्य का बेहतर संकेत मिलता है।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने एक वर्ष से भी कम समय में अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए कई कदम उठाये हैं। वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा सरकार का लक्ष्य भारत को सतत तीव्र विकास के पथ पर आगे बढ़ाना है और इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर, स्किल डेवलपमेंट, सरल तरीके से कारोबार शुरू करने के साथ ही सामाजिक सुरक्षा के दायरे और वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा दिया जा रहा है।

जेटली ने कहा कि पिछली बार की बैठक में एडीबी को अधिक सक्षम बनाने की बात कही गई थी जिसमें एडीएफ संसाधनों के ओसीआर में विलय की योजना थी और एडीबी में सुधार करना भी शामिल था। इन दोनों क्षेत्रों में प्रगति हुई है। एडीएफ संसाधनों का ओसीआर में विलय कर दिया गया है जिससे एडीबी की ऋण देने की क्षमता बढ़ गई है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में एडीबी ने कुल 13.5 अरब डॉलर का ऋण और अनुदान दिया जो वर्ष 2013 की तुलना में कुछ कम है। लेकिन, विभिन्न परियोजनाओं को नौ अरब डॉलर से अधिक की वित्तीय मदद दी गयी है। पिछले पांच वर्षाें में एडीबी की क्षमता में वृद्धि हुई है और आगे इसमें अधिक बढ़ोतरी का अनुमान है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 तक एडीबी का वार्षिक कारोबार 20 अरब डॉलर के पार पहुंचाने का लक्ष्य रखा जाना चाहिए। जेटली ने कहा कि भारत पहले से एडीबी की पूंजीगत क्षमता बढ़ाने का आग्रह करता आ रहा है ताकि सदस्य देशों को अधिक संसाधन मिल सके।

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