मानसून की देरी से खरीफ बुवाई की रफ्तार धीमी

मानसून की अब तक 18 फीसद कम बारिश हुई है, जिसका असर धान, दलहन व तिलहन की खेती पर पड़ा है।

By Manish NegiEdited By: Publish:Sat, 25 Jun 2016 06:14 AM (IST) Updated:Sat, 25 Jun 2016 06:20 AM (IST)
मानसून की देरी से खरीफ बुवाई की रफ्तार धीमी

नई दिल्ली, (जागरण ब्यूरो)। मानसून की सुस्त चाल की वजह से खरीफ सीजन की फसलों की बुवाई प्रभावित हो रही है। मानसून की अब तक 18 फीसद कम बारिश हुई है, जिसका असर धान, दलहन व तिलहन की खेती पर पड़ा है। बुवाई रकबा में 24 फीसद की कमी दर्ज की गई है। कुल बुवाई रकबा 1.25 करोड़ हेक्टेयर हो गया, जो पिछले सीजन के 1.64 करोड़ हेक्टेयर के मुकाबले 24 फीसद कम है।

मानसून एक सप्ताह लेट

भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक दक्षिण-पश्चिम मानसून एक सप्ताह की देरी से चल रहा है। इसके चलते 22 जून तक कुल 18 फीसद कम बरसात हुई है। हालांकि मौसम विभाग ने चालू सीजन में औसत से अधिक बरसात होने और शानदार मानसून का पूर्वानुमान किया है। पिछले दो साल के सूखे जैसी स्थिति के चलते खरीफ पैदावार पर बुरा असर पड़ा था।

फसलों की बुवाई पिछड़ी

हालांकि कृषि मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में बुवाई के रकबा में सुधार होगा। मानसून की मानसून की अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे हैं। खरीफ की बुवाई की शुरुआत जून में मानसून के सक्रिय होने के साथ हो जाती है। खरीफ बुवाई के साप्ताहिक आंकड़े के अनुसार सीजन की प्रमुख फसल धान का रकबा 19.86 लाख हेक्टेयर हुआ है जो पिछले साल के 21.86 लाख हेक्टेयर से कम है। इसी तरह दलहन की बुवाई 21 फीसद पीछे है। पिछले साल अब तक 12.19 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी, जबकि इस बार केवल 9.66 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो पाई है।

मोटे अनाजों का भी रकबा कम

मोटे अनाज वाली फसलों का बुवाई रकबा भी कम हुआ है। पिछले साल जहां 18.19 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी, वहीं इस सीजन में केवल 17.60 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो पाई है। तिलहन की खेती तो जबर्दस्त रूप से झटका लगा है। चालू सीजन में अब तक केवल 6.97 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो सकी है। जबकि पिछले साल की इसी अवधि तक 27.85 लाख हेक्टेयर में तिलहन की खेती हो चुकी है। नकद फसलों का हालनकदी फसलों में कपास का बुवाई रकबा बुरी तरह टूटा है। अब तक केवल 19.07 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती हुई है, जो पिछले साल अब तक 34.87 लाख हेक्टेयर में हो गई थी। हालांकि गन्ना की खेती में मामूली सुधार हुआ है जो पिछले साल के मुकाबले अधिक है।

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