छह गुना महंगा हो सकता है मोबाइल पर इंटरनेट का इस्तेमाल

मोबाइल पर इंटरनेट इस्‍तेमाल करने वालों के लिए बुरी खबर है। नेट न्यूट्रलिटी पर सरकार, विपक्ष, जनता व इंटरनेट कंपनियों के निशाने पर आई मोबाइल कंपनियों ने महंगी सेवाओं का डर दिखाना शुरू कर दिया है।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Sat, 25 Apr 2015 08:33 AM (IST) Updated:Sat, 25 Apr 2015 10:05 AM (IST)
छह गुना महंगा हो सकता है मोबाइल पर इंटरनेट का इस्तेमाल

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मोबाइल पर इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों के लिए बुरी खबर है। नेट न्यूट्रलिटी पर सरकार, विपक्ष, जनता व इंटरनेट कंपनियों के निशाने पर आई मोबाइल कंपनियों ने महंगी सेवाओं का डर दिखाना शुरू कर दिया है। कंपनियों ने कहा है कि उनकी बात नहीं मानी गई तो मोबाइल पर डाटा शुल्क छह गुना तक बढ़ाया जा सकता है। कंपनियों ने सभी को इंटरनेट से जोड़ने की सरकार की योजना व कार्यक्रम पर भी सवाल उठाए हैं।

एक समान नियम की मांग :
मोबाइल कंपनियों के संगठन सीओएआइ के तत्वावधान में एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया सेल्यूलर, रिलायंस जिओ, टेलीनॉर, वीडियोकॉन,एयरसेल के अनुसार-वे सैद्धांतिक तौर पर नेट न्यूट्रलिटी के पक्ष में हैं। किसी भी कंपनी या मोबाइल एप्स संग भेदभाव नहीं चाहतीं पर सरकार सुनिश्चित करे कि मोबाइल कंपनियों-इंटरनेट फोन कॉलिंग कंपनियों के लिए एक समान नियम हों।

डाटा सर्विस होगी महंगी :
मोबाइल कंपनियों के अनुसार, सरकार जिस शर्त पर नेट न्यूट्रलिटी लागू करने की बात कर रही है उससे इंटरनेट महंगा होगा। मोबाइल नेटवर्क का ढांचा तैयार करने में छह लाख करोड़ रुपये से यादा का निवेश हुआ है। सीओएआइ के डिप्टी चेयरमैन गोपाल विट्टल ने कहा-अगर इंटरनेट पर कॉलिंग या एसएमएस सेवा देने वाली कंपनियों के लिए नियम नहीं बने तो मोबाइल कंपनियों के लिए डाटा सेवा महंगा करने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा।’

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नेट न्यूट्रलिटी के पक्ष में बना माहौल :
देश में नेट न्यूट्रलिटी के पक्ष में जबरदस्त माहौल है। इस बारे में दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के प्रस्ताव का दस लाख से यादा लोगों ने विरोध किया है। लोगों का मानना है कि मोबाइल पर इंटरनेट सेवा के लिए अलग-अलग शुल्क का वही अर्थ है-जैसे सड़क पर भीड़ कम करने को यादा चलने वालों पर शुल्क लगा दे या यादा पत्र भेजने वालों से डाक विभाग यादा शुल्क ले । दूरसंचार विभाग ने सोमवार को इस विषय पर गठित समिति की बैठक बुलाई है।

नेट की आजादी को लेकर ट्राई पर उठे सवाल :
नेट की आजादी को लेकर उठे विवाद में अब ट्राई पर भी सवाल उठने लगे हैं। ट्राई के विमर्श पत्र पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए रायसभा सदस्य राजीव चंद्रशेखर ने ट्राई अध्यक्ष राहुल खुल्लर को पत्र लिखकर ट्राई को ग्राहकों के हित में इस विमर्श पत्र की पुन: समीक्षा की मांग की है।

दैनिक जागरण से बातचीत में चंद्रशेखर ने कहा-मैंने पत्र में लिखा है ट्राई का 118 पेज का पूरा दस्तावेज टेलीकॉम ऑपरेटरों के पक्ष में खड़ा दिखाई देता है। उन्होंने ट्राई चेयरमैन से मिले उस आश्वासन का भी जिक्र किया है जिसमें इस पेपर को संतुलित रखने का वादा किया था। चंद्रशेखर ने कहा है कि नेट न्यूट्रलिटी की पूरी बहस इंटरनेट के संदर्भ में ग्राहकों के हितों के मद्देनजर होनी चाहिए। उन्होंने यह भी जानना चाहा है कि यह विमर्श पत्र एकपक्षीय कैसे हो गया।

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