Arun Jaitley Dies: वित्त मंत्री रहते जेटली ने किए ये 10 बड़े काम

पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता अरुण जेटली (Arun Jaitley) का शनिवार की दोपहर करीब 12 बजे निधन हो गया। जेटली ने 2014 से 2019 तक देश के वित्त मंत्री रहते कई बड़े कदम उठाए

By NiteshEdited By: Publish:Sat, 24 Aug 2019 02:59 PM (IST) Updated:Sun, 25 Aug 2019 10:10 AM (IST)
Arun Jaitley Dies: वित्त मंत्री रहते जेटली ने किए ये 10 बड़े काम
Arun Jaitley Dies: वित्त मंत्री रहते जेटली ने किए ये 10 बड़े काम

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता अरुण जेटली (Arun Jaitley) का शनिवार की दोपहर करीब 12 बजे निधन हो गया। वे बीते कई दिनों से नई दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती थे। जेटली ने 2014 से 2019 तक देश के वित्त मंत्री रहते कई बड़े कदम उठाए। जानिए जेटली के ऐसे ही कुछ योगदान के बारे में...

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी): जेटली जब वित्त मंत्री थे, तब 1 जुलाई 2017 से जीएसटी लागू किया गया था। जीएसटी का उद्देश्य राज्य और केंद्र के अप्रत्यक्ष करों को मिलाकर भारत की जटिल अप्रत्यक्ष कर संरचना को आसान बनाना है।

बैंकों का विलय: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) की दशा में सुधार के लिए जेटली के वित्त मंत्री रहते छोटे बैंकों का बड़े बैंकों में विलय कर दिया गया। इसके तहत बैंक ऑफ बड़ौदा, देना बैंक और विजया बैंक का विलय हुआ।

जन धन योजना: इसकी शुरुआत 2014 में की गई थी, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना था। इसके तहत जीरो बैलेंस बैंक अकाउंट खातों की शुरुआत, लोन, बीमा और पेंशन के पहुंच में वृद्धि जैसे उपाय किए गए। इसका मकसद गरीबों के खातों में सीधे सब्सिडी भेजना था।

इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC): हाल के दिनों में भारतीय अर्थव्यवस्था में बैंकिंग घोटाले मुख्य तौर पर सामने आए। इन घटनाओं ने अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान पहुंचाया। केंद्र सरकार ने बैंकिंग व्यवस्था में ढांचागत सुधार करते हुए 2016 मे इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) कानून को पारित किया था आज इस कानून की वजह से कर्ज लेकर उन्हें डकार जाने वाली कंपनियां और पूंजीपति में एक डर का माहौल है।

LTCG टैक्स: लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को एक विवादास्पद कर माना गया, यह कर अधिग्रहण की तारीख से एक वर्ष की न्यूनतम अवधि के लिए आयोजित शेयरों, अचल संपत्ति और शेयर-ओरिएंटेड प्रोडक्ट जैसे परिसंपत्तियों से उत्पन्न लाभ पर लगाया गया था। तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा 2004-05 में इसे खत्म करने के बाद दोबारा पेश किया गया।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का (PSB) रीकैपिटलाइजेशन: सरकार ने PSB की खराब हालत को सुधारने के लिए बड़े पैमाने पर रीकैपिटलाइजेशन पहल की शुरुआत की। वित्तीय वर्ष 2018-19 में बैंक रीकैपिटलाइजेशन के लिए कुल 1.06 लाख करोड़ रुपये दिए गए।

नोटबंदी: नोटबंदी को विवादास्पद कदम माना गया। 8 नवंबर 2016 को देश में 500 रुपये और 1,000 रुपये के बैंक नोटों के चलन पर रोक लगा दी गई, जिसके कारण कई महीनों तक तरलता की गंभीर समस्या बनी रही। इसके बाद 500 रुपये और 2,000 रुपये के बैंक नोट जारी किए गए।

कर में छूट: प्रति वर्ष 5 लाख रुपये से कम आय वालों को आयकर के भुगतान से छूट दी गई थी, इसकी घोषणा जेटली ने अपने आखिरी केंद्रीय बजट में की थी। तब वे वित्त मंत्री थे।

सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश: सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सार्वजनिक उपक्रमों) में सरकार की हिस्सेदारी का विनिवेश वित्त मंत्री के जेटली के रहते हुए घाटे के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए किया गया था। वित्त वर्ष 2015 के लिए विनिवेश का लक्ष्य 1,05,000 करोड़ रुपये था।

जीएसटी परिषद का निर्माण: जेटली के समय जीएसटी परिषद का निर्माण हुआ। कर संरचना को आसान बनाने में जीएसटी परिषद का अहम योगदान है।

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