टैक्स क्षेत्र का दायरा बढ़ाने पर केंद्र सरकार कर रही विचार

सरकार टैक्स के दायरे से बाहर रहे गए क्षेत्रों को टैक्स दायरे में लाने पर विचार कर रही है।

By NiteshEdited By: Publish:Mon, 31 Dec 2018 10:13 AM (IST) Updated:Mon, 31 Dec 2018 11:10 AM (IST)
टैक्स क्षेत्र का दायरा बढ़ाने पर केंद्र सरकार कर रही विचार
टैक्स क्षेत्र का दायरा बढ़ाने पर केंद्र सरकार कर रही विचार

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। सरकार टैक्स के दायरे से बाहर रहे गए क्षेत्रों को टैक्स दायरे में लाने पर विचार कर रही है। इसके साथ ही वह टैक्स-जीडीपी अनुपात बढ़ाने के लिए अनुपालन स्तर में सुधार करने पर भी ध्यान दे रही है। राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय ने यह भी कहा कि जीएसटी अधिकारी इस बात का ध्यान रखेंगे कि ईमानदारी से कर का भुगतान करने वाले करदाता को परेशान न किया जाए। लेकिन जो भुगतान नहीं कर रहे हैं या रिटर्न नहीं दाखिल कर रहे हैं, उन्हें टैक्स के दायरे में लाया जाना चाहिए।

इसी महीने की शुरुआत में पद संभालने वाले पांडेय ने कहा कि आयकर विभाग अगले एक साल में सभी स्क्रूटनी मामलों में फेसलेस असेसमेंट लागू करेगा। टैक्स-जीडीपी अनुपात बढ़ाने का लेकर सरकार की योजना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस पर दो मुद्दे हैं। एक का संबंध सरकार की इस नीति से है कि ऐसे कौन-कौन से क्षेत्र हैं, जो अब तक टैक्स दायरे से बाहर हैं और उन्हें टैक्स दायरे में लाया जाना चाहिए। दूसरे का संबंध इस नीति से है कि जहां भी अनुपालन बढ़ाने की जरूरत हो, वहां अनुपालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में कर नहीं लग रहा है और जिन पर बिना किसी विपरीत प्रभाव के कर लगाया जा सकता है, ऐसे क्षेत्रों की पहचान की जानी चाहिए और उस पर काम किए जाने की जरूरत है।

पिछले चार साल में देश का टैक्स-जीडीपी अनुपात 10 फीसद से सुधर कर 11.5 फीसद पर पहुंच गया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पहले कहा था कि वेतन भोगी वर्ग अपना टैक्स जमा करता है, लेकिन अन्य अधिकतर तबके को अपना रिकॉर्ड बेहतर करना है। पांडेय ने कहा कि आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या गत एक साल में 50 फीसद बढ़कर असेसमेंट वर्ष 2018-19 में छह करोड़ से अधिक हो गई है। पांडेय ने कहा कि टैक्स अनुपालन बढ़ाने और ईमानदार करदाताओं को अधिक सुविधा देने के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) कई कार्यक्रमों पर विचार कर रहा है। हमारी कोशिश है कि अगले एक साल में हमें एक ऐसी प्रणाली की तरफ बढ़ना है, जिसमें स्क्रूटनी फेसलेस तरीके से हो, जहां एक व्यक्ति को प्रश्नावली भेज दी जाए और व्यक्ति पोर्टल पर या ईमेल के जरिए ऐसे अधिकारी को उसका जवाब दे, जो देश में कहीं भी बैठा हो। 

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