वित्त मंत्री 3 सितंबर को अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और एनबीएफसी के शीर्ष प्रबंधन के साथ करेंगी बैठक

बैंकरों के साथ वित्त मंत्री की यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब 31 अगस्त को 6 महीने की मोरैटोरियम अवधि समाप्त होने जा रही है। PC ANI

By Pawan JayaswalEdited By: Publish:Sun, 30 Aug 2020 03:32 PM (IST) Updated:Mon, 31 Aug 2020 08:07 AM (IST)
वित्त मंत्री 3 सितंबर को अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और एनबीएफसी के शीर्ष प्रबंधन के साथ करेंगी बैठक
वित्त मंत्री 3 सितंबर को अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और एनबीएफसी के शीर्ष प्रबंधन के साथ करेंगी बैठक

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामालों की मंत्री निर्मला सीतारमण गुरुवार, तीन सितंबर को अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और एनबीएफसी के शीर्ष प्रबंधन के साथ बैठक करेंगी। इस बैठक में वित्त मंत्री बैंक लोन्स में आई कोविड ​-19 से जुड़ी परेशानी के लिए लाए गए समाधान उपायों के कार्यान्वयन की समीक्षा करेंगी।

इस समीक्षा में कारोबारों और लोगों को व्यवहार्यता के आधार पर राहत उपायों का लाभ दिलाने, बैंक नीतियों को अंतिम रूप देने, उधारकर्ताओं की पहचान करने और उन मुद्दों पर चर्चा करने पर फोकस रहेगा, जिन्हें सुचारू और त्वरित कार्यान्वयन के लिए संबोधित करने की आवश्यकता है।

Union Minister for Finance & Corporate Affairs Nirmala Sitharaman (file pic) will review with top management of Scheduled Commercial Banks & NBFCs, implementation of the resolution framework for #COVID19 related stress in bank loans on Thursday, 3rd September: Ministry of Finance pic.twitter.com/oPmbMpKg5s

— ANI (@ANI) August 30, 2020

यहां बता दें कि केंद्रीय वित्त सचिव व व्यय सचिव के साथ राज्यों के वित्त सचिवों की बैठक एक सितंबर को होनी है। इस बैठक में जीएसटी मुआवजे से संबंधित मुद्दों को सुलझाया जाएगा। वित्त मंत्रालय ने शनिवार को कहा था कि राज्यों को जीएसटी मुआवजे के दो विकल्पों के बारे में बता दिया गया है और उन्हें सात दिनों में इस पर अपनी राय देनी है।

बैंकरों के साथ वित्त मंत्री की यह बैठक ऐसे समय में हो रही है, जब 31 अगस्त को 6 महीने की मोरैटोरियम अवधि समाप्त होने जा रही है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, अब भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक लोन के भुगतान पर मोरैटोरियम के विकल्प को 31 अगस्त से आगे बढ़ाए जाने की गुंजाइश काफी कम है। वह इसलिए, क्योंकि ऐसा करने पर कर्ज लेने वालों का क्रेडिट बिहेवियर प्रभावित हो सकता है। आरबीआई ने COVID-19 के प्रकोप को देखते हुए लोगों का लिक्विडिटी संकट कम करने के लिए मोरैटोरियम का विकल्प पेश किया था।

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