अब भारत की साख पर खतरा
नई दिल्ली [जाब्यू]। रुपये को ढहने से बचाने की ताजा कोशिशों के औंधे मुंह गिरने के बाद ग्लोबल बाजारों में भारत की निवेश साख पर नया खतरा मंडराने लगा है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने रुपये की कमजोरी को देखते हुए भारत रेटिंग पर खतरे की चेतावनी दे दी है। भारत की संप्रभु रेटिंग पहले ही सुरक्षित निवेश के पैमानों के लिहा
नई दिल्ली [जाब्यू]। रुपये को ढहने से बचाने की ताजा कोशिशों के औंधे मुंह गिरने के बाद ग्लोबल बाजारों में भारत की निवेश साख पर नया खतरा मंडराने लगा है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने रुपये की कमजोरी को देखते हुए भारत रेटिंग पर खतरे की चेतावनी दे दी है। भारत की संप्रभु रेटिंग पहले ही सुरक्षित निवेश के पैमानों के लिहाज से सबसे निचले पायदान पर है।
रिजर्व बैंक [आरबीआइ] की कोशिशों और विदेशी निवेश के बड़े एलानों के बावजूद रुपया पिछले दो दिन की मजबूती को गंवाते हुए फिर ढह गया है। इतना ही नहीं रिजर्व बैंक की 120,00 करोड़ ताजा बांड बिक्री भी फंसती दिख रही है। यह बिक्री रुपये की मदद के लिए बाजार से अतिरिक्त पूंजी सोखने के मकसद से की जानी है। गुरुवार को बाजार की प्रतिक्रिया रिजर्व बैंक के माफिक नहीं थी।
मूडीज की चेतावनी संवेदनशील है। इसका असर शुक्रवार को बाजार पर दिख सकता है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि रुपये में गिरावट और राजकोषीय चुनौतियां मिलकर भारत की रेटिंग को जोखिम में डाल रही हैं। मूडीज के मुताबिक डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी रोकने की ताजा कोशिशें एक सीमा तक ही सफल होंगी। इसकी वजह ऊंचा व्यापार घाटा और भारतीय बाजारों में घट रहा विदेशी निवेश है। आयात में कमी मुश्किल है। लागत बढ़ने के कारण निर्यात में वृद्धि की उम्मीद नहीं है। मूडीज ने एक तरह से केंद्रीय बैंक के ताजा प्रयासों की सफलता पर संदेह जाहिर किया है। एजेंसी ने रुपये में लंबी कमजोरी का संकेत दिया है। मूडीज ने अभी तक भारत की रेटिंग का आउटलुक स्थिर रखा है, जबकि रेटिंग ट्रिपल बी3 है। यह निवेश योग्य रेटिंग का सबसे निचला दर्जा है।
गुरुवार रिजर्व बैंक के लिए दोहरी मुश्किल का दिन था। रुपये की गिरावट थामने लिए सप्ताह की शुरुआत में रिजर्व बैंक ने जो आपातकालीन कदम उठाए थे, उनका असर खत्म हो गया। इससे भारतीय मुद्रा की कीमत 33 पैसे गिरकर 59.68 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गई। फॉरवर्ड सौदों में तो डॉलर की कीमत 60 रुपये से ऊपर बोली जा रही थी। आरबीआइ ने डॉलर में सट्टेबाजी रोकने के मकसद से बाजार में ब्याज दरें बढ़ाई थीं। उसी क्रम में गुरुवार को 12,000 करोड़ रुपये के बांड की बिक्री शुरू की गई, ताकि बाजार से अतिरिक्त पूंजी खींची जा सके। बाजार सूत्रों के अनुसार निवेशक ऊंचा ब्याज मांग रहे हैं, नतीजतन रिजर्व बैंक की तरफ से बोलियां नकारे जाने की खबर थी।
अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के प्रमुख बेन बर्नान्के ने बीते बुधवार को कहा था कि यदि अमेरिकी अर्थव्यवस्था सुधरी तो साल के अंत तक बाजार में पूंजी का प्रवाह रोका जा सकता है। यह बयान भी रुपये की कमजोरी बढ़ाने वाला साबित हुआ है, क्योंकि इससे भारतीय बाजार में निवेश घटने की आशंका है। यह बयान भारतीय बांडों को निवेश के लिए आकर्षक बनाने के रिजर्व बैंक के ताजा प्रयासों पर भी भारी पड़ा है।
रुपये का कठिन मोर्चा
-रिजर्व बैंक की कोशिशों और ब्याज दरें बढ़ने के बाद भी गिरा रुपया
-रिजर्व बैंक की ताजा बांड बिक्री फंसी, बाजार मांग रहा ज्यादा ब्याज
-बेन बर्नान्के के बयान ने बढ़ाई कमजोरी
-फेड रिजर्व अमेरिकी अर्थव्यवस्था सुधरने पर साल के अंत तक सस्ती पूंजी का प्रवाह रोकने को तैयार
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मूडीज का नजरिया
-मूडीज को रिजर्व बैंक की कोशिशों की सफलता पर शक
-आयात घटने की और निर्यात की गुंजाइश कम
-रुपये में उतार-चढ़ाव पर जल्दी नियंत्रण मुश्किल
-महंगाई व राजकोषीय घाटे की चुनौतियां बरकार