भविष्य में जीएसटी का हिस्सा हो सकते हैं पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स और रियल एस्टेट सेक्टर: सुशील मोदी

निकट भविष्य में पेट्रोलियम उत्पाद जीएसटी के दायरे में आ सकते हैं

By Praveen DwivediEdited By: Publish:Thu, 14 Dec 2017 05:25 PM (IST) Updated:Thu, 14 Dec 2017 05:55 PM (IST)
भविष्य में जीएसटी का हिस्सा हो सकते हैं पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स और रियल एस्टेट सेक्टर: सुशील मोदी
भविष्य में जीएसटी का हिस्सा हो सकते हैं पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स और रियल एस्टेट सेक्टर: सुशील मोदी

नई दिल्ली (पीटीआई)। जीएसटी काउंसिल निकट भविष्य में बिजली, पेट्रोलियम उत्पादों और कुछ अन्य वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में ला सकती है। यह बात बिहार के वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने कही है। उन्होंने उद्योग चैंबर फिक्की की वार्षिक बैठक में कहा, “बिजली, रियल एस्टेट, स्टांप ड्यूटी और पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) का हिस्सा होना चाहिए। यह हमारा (जीएसटी काउंसिल) का प्रयास होगा।” हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यह कब तक संभव होगा इसके लिए एक निश्चित समय बताना थोड़ा मुश्किल होगा।

उन्होंने कहा कि संविधान में संशोधन किए बिना जीएसटी के दायरे में इन्हें लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो यह उस समय मौजूदा दरों में सबसे ऊंची टैक्स दर के अंतर्गत आएगा और राज्यों के पास अपने राजस्व की रक्षा के लिए उस पर सेस लगाने की स्वतंत्रता होगी। मौजूदा समय में केंद्र और राज्य सरकारों को उनके कुल राजस्व में से 40 फीसद हिस्सा पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स से प्राप्त होता है। वहीं मोदी ने यह संकेत भी दिए हैं कि कर संग्रह के स्थिर होने के बाद टैक्स स्लैब को कम किया जा सकता है। वर्तमान समय में जीएसटी के अंतर्गत 5 दरें निर्धारित हैं, 0 फीसद, 5 फीसद, 12 फीसद, 18 फीसद और 28 फीसद (वर्तमान समय में सिर्फ 50 उत्पादों पर लागू)। इसके अलावा कुछ उत्पादों पर जीएसटी सेस भी लगाया जाता है।

गौरतलब है कि कई हलकों से यह लगातार मांग की जा रही है कि पेट्रोल-डीजल और रियल एस्टेट सेक्टर को भी जीएसटी के दायरे में लाया जाए, लेकिन चूंकि पेट्रोल राज्यों के राजस्व का प्रमुख हिस्सा है इसलिए इस पर सरकार ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है।

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