कोरोना ने बदली आदत, लोग घरों में रखने लगे हैं करेंसी, आरबीआइ के डाटा से खुलासा

बैंकिंग सेक्टर के जानकारों का कहना है कि अर्थव्यवस्था (खास तौर पर नोमिनल जीडीपी रेट) में तेज विकास दर होने के दौरान आम जनता के पास नकदी होने या नोट सर्कुलेशन में तेज वृद्धि होने की परंपरा रही है।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Sun, 19 Jul 2020 07:51 PM (IST) Updated:Mon, 20 Jul 2020 08:03 AM (IST)
कोरोना ने बदली आदत, लोग घरों में रखने लगे हैं करेंसी, आरबीआइ के डाटा से खुलासा
कोरोना ने बदली आदत, लोग घरों में रखने लगे हैं करेंसी, आरबीआइ के डाटा से खुलासा

नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। कोरोनावायरस ने लोगों की कई तरह की आदतें बदल दी है। मसलन, बेवजह घर से निकलना या हमेशा मुंह पर मास्क लगाना या बाहर से घर आ कर पहले हाथ साफ करना। लेकिन इसके साथ ही नकदी को लेकर भी एक आदत बदलती नजर आ रही है। आंकड़े बताते हैं कि संभवत: लोगों ने अब ज्यादा नकदी घर में रखना शुरु कर दिया है। पिछले हफ्ते भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से करेंसी प्रबंधन से जुडे़ कुछ आंकड़े जारी किये गये हैं जो इस तरफ इशारा करते हैं।

रिपोर्ट बताती है कि 3 जुलाई, 2020 को 4,61,643 करोड़ रुपये की करेंसी लोगों के पास थी। जबकि 10 अप्रैल, 2020 का आंकड़ा बताता है कि तब यह राशि सिर्फ 3,05,694 करोड़ रुपये की थी। उस वक्त तक लाकडाउन के बीस दिन भी नहीं हुए थे। अगर पिछले चार वर्षो के आरबीआइ के आंकड़ों पर जाएं तो 'करेंसी विद द पब्लिक' मद में इतनी राशि कभी भी नहीं रही है और ना ही इस मद में रहने वाली राशि में सिर्फ तीन महीने में 50 फीसद से भी ज्यादा का इजाफा हुआ है।

इस संदर्भ में आरबीआइ का एक दूसरा आंकड़ा है जो बताता है कि बाजार में नकदी का प्रसार (नोट इन सर्कुलेशन) अभी तक के सारे रिकार्ड को पार कर चुका है। 17 जुलाई, 2020 को 26.39 लाख करोड़ रुपये की नकदी सर्कुलेशन में थी। एक वर्ष पहले 12 जुलाई, 2019 को यह राशि 21.79 लाख करोड़ रुपये की थी। एक तरह से देखा जाए तो सिस्टम में नकदी कम करने का सरकार और केंद्रीय बैंक की कोशिश पूरी तरह से असफल होती दिख रही हैं।

नोटबंदी के समय सरकार की तरफ से दावा किया गया था कि उसका एक मकसद सिस्टम में नकदी प्रसार को कम करना है। सिस्टम में नोट व सिक्के ज्यादा होने की लागत ज्यादा आती है। सरकार इनकी जगह डिजिटल भुगतान को ज्यादा बढ़ावा दे रही है। वैसे नोटबंदी (नवंबर, 2016) के साल भर बाद सिस्टम में नकदी बढ़ने का सिलसिला शुरु हो गया था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नवंबर, 2019 में राज्य सभा में बताया कि नोटबंदी लागू करने के समय सिस्टम में 17.71 लाख करोड़ रुपये की नकदी थी जो 31 मई, 2019 को 21.71 लाख करोड़ रुपये हो चुकी है।

ताजा आंकड़े देखें तो 28 फरवरी, 2020 को 23.21 लाख करोड़ रुपये की नकदी सिस्टम में थी जो 17 अप्रैल, 2020 को 24.79 लाख करोड़ रुपये हो गई है। इस तरह से देखा जाए तो मई-19 से लेकर फरवरी-20 के बीच बाजार में नकदी प्रचलन में 1.50 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है लेकिन उसके बाद के साढ़े चार महीने में इसमें 3.17 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हो चुकी है। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि लॉकडाउन की वजह से अप्रैल, 2020 के बाद से असंगठित क्षेत्र आम तौर पर ठप्प पड़ा है। नकदी का इस्तेमाल असंगठित क्षेत्र में ही ज्यादा होता है। यह आंकड़ा भी इस तरफ इशारा कर रहा है कि लोग घरों में पैसा रख रहे हैं।

बैंकिंग सेक्टर के जानकारों का कहना है कि अर्थव्यवस्था (खास तौर पर नोमिनल जीडीपी रेट) में तेज विकास दर होने के दौरान आम जनता के पास नकदी होने या नोट सर्कुलेशन में तेज वृद्धि होने की परंपरा रही है। साथ ही महंगाई की दर ज्यादा होने से भी इसमें तेजी देखी जाती है लेकिन अभी विकास दर और महंगाई दर दोनो काफी नीचे है। एक तरह से पूरी इकोनोमी की रफ्तार सुस्त पड़ी हुई है। ऐसे में लोगों के पास नकदी रखने की संभावना ही ज्यादा है। पहले भी देखा गया है कि अस्थिरता को भांपते हुए लोग घरों में नकदी ज्यादा रखने लगते हैं। 

chat bot
आपका साथी