सहकारी बैंकों के जमाकर्ताओं की सुरक्षा को बैंकिंग कानून में होगा संशोधन
सरकार के इस निर्णय को पंजाब एंड महाराष्ट्र बैंक (पीएमसी बैंक ) में हाल में सामने आए घोटाले के मद्देनजर काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार ने सहकारी बैंकों में जमाकर्ताओं के धन की सुरक्षा के लिए बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन का फैसला किया है। इस आशय के वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई बैठक में मंजूरी दी गई। देश में तकरीबन 1540 सहकारी बैंक हैं। तकरीबन 8.60 लाख करोड़ रुपये के जमा आधार वाले इन बैंकों में जमाकर्ताओं के बचाए हुए लगभग 5 लाख करोड़ रुपये जमा हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडे़कर ने बताया कि प्रस्तावित संशोधन कानून का मकसद रिजर्व बैंक के बैंकिंग दिशानिर्देशों को सहकारी बैंकों पर भी लागू करना है।
हालांकि प्रशासनिक मसले तब भी रजिस्ट्रार ऑफ कोआपरेटिव द्वारा ही तय किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित परिवर्तन सहकारी बैंकों में वित्तीय स्थायित्व लाने में मददगार साबित होंगे। इनके तहत सहकारी बैंकों के सीईओ की नियुक्ति के लिए योग्यता मापदंड निर्धारित किए जाएंगे तथा कमर्शियल बैंकों की भांति सीईओ की नियुक्ति से पहले आरबीआइ की अनुमति लेनी होगी। इसके अलावा सहकारी बैंकों का ऑडिट भी आरबीआइ के दिशानिर्देशों के अनुसार होगा।
यदि कोई सहकारी बैंक के किसी निर्णय से घाटे की स्थिति पैदा होगी तो आरबीआइ को बैंक के बोर्ड के फैसले को पलटने का अधिकार होगा। जावडे़कर के मुताबिक आरबीआइ के दिशानिर्देशों को अनुपालन करने के लिए सहकारी बैंकों को पर्याप्त समय दिया जाएगा। कैबिनेट का ये फैसला वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी को बजट में की गई घोषणा के अनुरूप है। वित्तमंत्री ने 2020-21 के बजट भाषण में कहा था, 'सहकारी बैंकों को मजबूती प्रदान करने, उन्हें और अधिक पेशेवर बनाने, पूंजी प्राप्ति में सक्षम बनाने, प्रशासनिक सुधार लाने तथा सशक्त बैंकिंग के लिए आरबीआइ के माध्यम से उनकी निगरानी के लिए बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन का प्रस्ताव है।'
सरकार के इस निर्णय को पंजाब एंड महाराष्ट्र बैंक (पीएमसी बैंक ) में हाल में सामने आए घोटाले के मद्देनजर काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस घोटाले के कारण आरबीआइ द्वारा लागू की गई बंदिशों के परिणामस्वरूप लाखों ग्राहकों को अपना पैसा निकालने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। जावड़ेकर ने कहा कि बैंक जमाकर्ताओं के धन को सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा इस सप्ताह उठाया गया ये दूसरा महत्वपूर्ण कदम है। इससे पहले सरकार बजट में 1 लाख के बजाय 5 लाख तक की बैंक जमा को सुरक्षा देने का प्रस्ताव कर चुकी है।
वित्तमंत्री सीतारमण ने बजट भाषण में कहा था, 'मैं इस सदन को सूचित करना चाहती हूं कि सभी अनुसूचित बैंकों की हालत की निगरानी के लिए एक सशक्त व्यवस्था है। और जमाकर्ताओं का पैसा सुरक्षित है। यही नहीं, डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कारपोरेशन (डीआइसीजीसी) को किसी जमाकर्ता के डिपॉजिट इंश्योरेंस कवरेज को जो अभी 1 लाख रुपये है, बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने को कहा गया है।' अभी तक की व्यवस्था के तहत यदि कोई बैंक विफल होता है, तो उसके जमाकर्ताओं को डीआइसीजीसी की ओर से 1 लाख रुपये तक की जमा का भुगतान किया जाता है। लेकिन अप्रैल, 2020 के बाद बैंक के फेल होने पर जमाकर्ताओं को 5 लाख रुपये तक की जमा वापस प्राप्त हो सकेगी।