बांडेड मैन्युफैक्चरिंग स्कीम पकड़ने लगी रफ्तार, Make in India को प्रोत्‍साहित करने के लिए पिछले साल लॉन्‍च हुई थी ये स्‍कीम

Bonded Manufacturing Scheme अब रफ्तार पकड़ने लगी है। निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए इस स्कीम के तहत कच्चा माल व मशीनरी के आयात पर शुल्क में छूट देने का प्रावधान है।

By Manish MishraEdited By: Publish:Wed, 19 Aug 2020 12:12 PM (IST) Updated:Thu, 20 Aug 2020 07:20 AM (IST)
बांडेड मैन्युफैक्चरिंग स्कीम पकड़ने लगी रफ्तार, Make in India को प्रोत्‍साहित करने के लिए पिछले साल लॉन्‍च हुई थी ये स्‍कीम
बांडेड मैन्युफैक्चरिंग स्कीम पकड़ने लगी रफ्तार, Make in India को प्रोत्‍साहित करने के लिए पिछले साल लॉन्‍च हुई थी ये स्‍कीम

राजीव कुमार, नई दिल्ली। भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के उद्देश्य से लाई गई बांडेड मैन्युफैक्चरिंग स्कीम (Bonded Manufacturing Scheme) अब रफ्तार पकड़ने लगी है। निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए इस स्कीम के तहत कच्चा माल व मशीनरी के आयात पर शुल्क में छूट देने का प्रावधान है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के इंवेस्ट इंडिया पोर्टल पर बांडेड मैन्युफैक्चरिंग स्कीम को लेकर काफी सवाल पूछे जा रहे हैं। विदेशी निवेशक भी इस स्कीम में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। मेक इन इंडिया को प्रोत्साहित करने के लिए पिछले साल अक्टूबर में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने बांडेड मैन्युफैक्चरिंग स्कीम को संशोधित रूप में लांच किया था। 

इंवेस्ट इंडिया से जुड़े एक अधिकारी ने उदाहरण देते हुए समझाया कि अगर जापान की कोई ऑटोमोबाइल कंपनी भारत में निवेश करना चाहती है और गुजरात में यूनिट लगाने के लिए लाइसेंस ले लेती है। एयरबैग, गियरबॉक्स का उत्पादन शुरू करने के लिए वह कंपनी कच्चे माल व मशीनरी का आयात करती है। इस स्कीम के तहत उस विदेशी कंपनी से कच्चे माल व मशीनरी के आयात पर उस समय कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। बाद में अगर कंपनी अपना पूरा उत्पादन निर्यात कर देती है तो उससे कोई आयात शुल्क नहीं वसूला जाएगा। अगर कंपनी ने उत्पादन का 70 फीसद निर्यात किया और 30 फीसद उत्पाद की खपत घरेलू स्तर पर होती है तो सिर्फ 30 फीसद के निर्माण में इस्तेमाल कच्चे माल के आयात पर शुल्क वसूला जाएगा। 

उद्यमियों के मुताबिक, निर्यात प्रोत्साहन के लिए बनाए गए विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) से यह इस मायने में अलग है कि सेज में निर्मित वस्तुओं को घरेलू बाजार में नहीं बेच सकते हैं। अगर बेचते हैं तो उस वस्तु को आयातित मान लिया जाता है और आयात शुल्क का भुगतान करना पड़ता है।

औद्योगिक संगठन CII के नेशनल आइसीटीई मैन्युफैक्चरिंग कमेटी के चेयरमैन विनोद शर्मा ने बताया कि अब जो बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत में आने का एलान कर रही हैं, उनके लिए यह स्कीम काफी फायदेमंद होगी। वे इस स्कीम से प्रोत्साहित भी होंगी। हाल ही में जापान की कंपनियों ने वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के एक कार्यक्रम में कहा था कि वे भारत सिर्फ भारत की खपत के लिए नहीं बल्कि यहां से निर्यात करने के लिए आना चाहती हैं।

बांडेड मैन्युफैक्चरिंग स्कीम उन कंपनियों के लिए बहुत फायदेमंद है जिनके उत्पाद को तैयार करने के लिए विदेश से कच्चा माल लाना पड़ता है। आयात शुल्क नहीं लगने से उनकी लागत कम हो जाएगी। अभी फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स, केमिकल्स जैसे क्षेत्रों में उत्पाद तैयार करने के लिए काफी अधिक कच्चा माल आयात करना पड़ता है। स्कीम से इन क्षेत्रों के निर्यातकों को फायदा होगा।

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