अब हाईटेक हुई होली, इंटरनेट पर हो रहे संवाद

बगहा। हरनाटांड़ होली 21 मार्च को है लेकिन सप्ताह पूर्व से ही इंटरनेट पर होली खेली जा रही है। होली से जुड़े संवाद भेजे जा रहे है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Mar 2019 11:49 PM (IST) Updated:Sun, 17 Mar 2019 11:49 PM (IST)
अब हाईटेक हुई होली,  इंटरनेट पर हो रहे संवाद
अब हाईटेक हुई होली, इंटरनेट पर हो रहे संवाद

बगहा। हरनाटांड़, होली 21 मार्च को है लेकिन सप्ताह पूर्व से ही इंटरनेट पर होली खेली जा रही है। होली से जुड़े संवाद भेजे जा रहे है। मसालेदार संवाद से होली पूरी तरह हाईटेक हो गयी है। इंटरनेट पर न सिर्फ होली खेली जा रही है वहीं एक से बढ़कर एक उम्दे लेख भेजे जा रहे है। शेरो-शायरी भी खूब परोसी जा रही है। बदलते समय के साथ अब होली भी हाईटेक हो गई है। अधिसंख्य लोग रंग व गुलाल से भी परहेज करने लगे हैं। एक समय था कि रंग और अबीर से तो लोग एक दूसरे को सराबोर करते ही थे। कीचड़, जले हुए मोबिल व गोबर के घोल से भी परहेज नहीं था। रिश्तों की मधुरता को होली और बढ़ा देती थी। शादी के बाद लोग पहली होली में ससुराल जाने से नहीं चूकते थे। महीनों पूर्व से ही लोगों को होली आने का इंतजार रहता था। होलिका दहन में पूरे गांव के लोग एक जगह जुटते थे। लेकिन, अब यह सब कुछ तेजी से बदल रहा है। लेकिन अब वह पुरानी परंपरा लुप्त होती जा रही है। इंटरनेट तकनीकी के मामले इतना रंगीन है कि घर, मोहल्ले ही नहीं विदेशों में बैठे अपनों से आप होली खेल सकते है। वह भी बिना कपड़े व चेहरे को गंदा किए हुए। अभी होली में कुछ दिन शेष है लेकिन, वाट्सएप, फेसबुक व एसएमएस इसका एहसास कराने लगा है। मैसेज भेजने वाले शुभेक्षुओं में होड़ लगी है। यहां तक मैसेज दिया जाता है कि कोई और आपको मैसेज करें उससे पहले पहला मैसेज मेरे ही द्वारा भेजा जा रहा है। वाट्सएप व फेसबुक के जरिए तो रंग-बिरंगे ग्रीटिग्स भी भेजे जा रहे है। होली पर डाक के जरिए ग्रीटिग्स भेजना या देना अब पुरानी बात हो गई। इंटरनेट ने इसे बेहद आसान बना दिया है।सहेली भेराइटी के ग्रीटिग्स विक्रेता सुनील जायसवाल कहते हैं कि लोग अब इंटरनेट के जरिए ही रंगे बिरंगे ग्रीटिग्स भेज रहे हैं। बाजार में अब होली का ग्रीटिग्स भी मुश्किल से मिलता है। हरनाटांड़ के बुजुर्ग ज्ञानेश्वर महतो अपने जमाने की होली को याद कर आज भी आनंदित हो उठते हैं। वे आज भी गुजरे जमाने की डफली की थाप पर जोगीरा की धुन के बीच होली की याद ताजा कर रोमांचित हो जाते हैं। कहते है कि समय के साथ बदलते परिवेश में होली की परम्परा में आई बदलाव से काफी चितित हैं। अब दूर-दूर तक फाल्गुन की गीत की जगह ध्वनि विस्तारक यंत्र के माध्यम से अश्लील गीतों की शोर सुनाई पड़ती है।

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