तीन साल तक की सरकारी नौकरी, फिर अपराध की दुनिया में रखा कदम

बगहा। पुलिस के हत्थे चढ़ा शातिर अपराधी राजेन्द्र चौधरी ने छात्र जीवन में ही होमगार्ड की नौकरी पा ली

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Mar 2019 11:21 PM (IST) Updated:Fri, 22 Mar 2019 11:21 PM (IST)
तीन साल तक की सरकारी नौकरी, फिर अपराध की दुनिया में रखा कदम
तीन साल तक की सरकारी नौकरी, फिर अपराध की दुनिया में रखा कदम

बगहा। पुलिस के हत्थे चढ़ा शातिर अपराधी राजेन्द्र चौधरी ने छात्र जीवन में ही होमगार्ड की नौकरी पा ली थी। करीब तीन साल तक पुलिस की राइफल ढोने के बाद अपराध की दुनिया में उसने कदम रखा। उसके बाद उसने कभी लौट कर पीछे नहीं देखा। एक-एक कर अपहरण व डकैती की कई घटनाओं को उसने अंजाम दिया। घटनाओं को अंजाम देने के बाद हर बार वह भाग निकलता। इससे पुलिस की किरकिरी होती रही और लोग उसके नाम से खौफ खाने लगे। पुलिस ने कई बार जाल बिछाया, लेकिन चूंकि वह पुलिस विभाग की नौकरी कर चुका था, इसलिए हर बार वह चकमा देकर भाग निकलने में सफल रहा। कई बार उसने पुलिस टीम पर फायरिग भी की। वाल्मीकिनगर, नौरंगिया, लौकरिया, सेमरा, चिउटाहा, रामनगर भैरोगंज, बगहा व गोबर्धना में फिरौती के लिए अपहरण के दो दर्जन से अधिक मामले उसके खिलाफ दर्ज हैं।

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अपहरण करने के बाद सीधे निकल जाता था नेपाल :-

राजेंद्र चौधरी अपने गिरोह के साथ अपहरण की घटनाओं को अंजाम देने के बाद अगवा व्यक्ति को अपने साथ लेकर नेपाल निकल जाता था। वहीं से परिजनों से संपर्क साधकर फिरौती की राशि वसूल करने के बाद अगवा को छोड़ा जाता था। नेपाल से अपहरण की घटनाओं को अंजाम देने के बाद अपहृतों को वह बगहा पुलिस जिले के विभिन्न थाना क्षेत्र में रखता था। फिर फिरौती की मांग की जाती थी। जब भी व नेपाल से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करता था तो वह सेमरा, लौकरिया, नौरंगिया, भैरोगंज, चिउटाहा व गोबर्धना थाना क्षेत्र में सक्रिय रहता था। मौका हाथ लगते ही अपहरण की घटनाओं को अंजाम देता तथा नेपाल निकल जाता। स्थानीय होने के कारण उसे अधिकतर लोग पहचानते थे। इस लिए अगर किसी भी क्षेत्र में लोग उसे देख लेते थे तो इसकी जानकारी पुलिस को हो जाती थी।

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पुलिस दबिश के कारण नेपाल में बेच रहा था मुर्गा :-

बगहा पुलिस के लिए सर दर्द बना राजेन्द्र चौधरी को जब लगा कि अब यह इलाका उसके सुरक्षित नहीं है तो उसने पहले नेपाल नवलरासी जिले शरण लिया। लेकिन, वहां भी नेपाली व भारतीय पुलिस का दबाव बढ़ने लगा तो उसने वह भी इलाका छोड़ पारसा जिले में शरण ने लिया। वही कुछ सालों तक रहने के बाद पहले तो बीयर बार की दुकान खोली इसकी सूचना जब बगहा पुलिस को लग गई तो उसने फिर से व्यवसाय को बदल दिया और अभी नेपाल के ही मलंगवा में मुर्गी फार्म खोल लिया था। जहां व्यवसायियों को आना-जाना शुरू हो गया था। उसके बाद नेपाल के ही एक व्यवसायी सुरेश साह को भारतीय क्षेत्र में व्यवसाय का सब्जबाग दिखाया। सुरेश साह ने अपने जान पहचान के सीतामढ़ी के व्यवसायी काशी कुमार को अपने साथ लिया और राजेन्द्र चौधरी के साथ भारतीय सीमा में प्रवेश कर गए। दोनों व्यवसायियों को अपने विश्वास में लेने के बाद वह चिउटाहां जंगल पहुंच गया। जहां से बंदूक के बल पर दोनों व्यवसायियों को अपने कब्जे में ले लिया। फिर परिजनों को फिरौती के लिए फोन किया गया।

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