Vaishali News: पानी में छप-छप-छपाक..बच्चों को आ रहा आनंद और हालात से बड़े दिख रहे चिंतित

नगरपालिका का अकेले 125 वर्षों का सफर। नगरपालिका ने अंग्रेजों के साथ आजादी का जंग भी लड़ा तो देश की आजादी का जश्न भी मनाया। हाजीपुर नगरपालिका के 125 वर्षों के इतिहास के पन्नों का कोई भी खेवनहार अब इस दुनिया में नहीं है।

By Ravi Shankar ShuklaEdited By: Publish:Sat, 24 Sep 2022 08:09 PM (IST) Updated:Sat, 24 Sep 2022 08:14 PM (IST)
Vaishali News: पानी में छप-छप-छपाक..बच्चों को आ रहा आनंद और हालात से बड़े दिख रहे चिंतित
पानी में छप-छप-छपाक..बच्चों को आ रहा आनंद

रवि शंकर शुक्ला, हाजीपुर : हाजीपुर नगर की आयु 153 वर्ष की हो चुकी है। वर्ष 1869 में हाजीपुर नगरपालिका की नींव रखी गई थी। 1994 तक नगरपालिका अस्तित्व में रहा। यानि नगरपालिका का अकेले 125 वर्षों का सफर। नगरपालिका ने अंग्रेजों के साथ आजादी का जंग भी लड़ा तो देश की आजादी का जश्न भी मनाया। हाजीपुर नगरपालिका के 125 वर्षों के इतिहास के पन्नों का कोई भी खेवनहार अब इस दुनिया में नहीं है। वर्ष 2002 में नगरपालिका को अपग्रेड कर नगर परिषद बना दिया गया।

वर्ष 1994 से 2002 के बीच 08 वर्षों तक बोर्ड भंग रहा और नगर निकाय की कमान प्रशासनिक हाथों में रही। नगर निकाय की स्थापना इस सोच के साथ की गई थी कि लोगों को शहरी सुख-सुविधाएं मिले। वर्ष 2002 से 2022 तक यानि 20 वर्षों बाद भी शहर के सूरते-हाल पर लोगों को रोना आ रहा है। चारों ओर शहर में जगह-जगह भारी जल-जमाव के बीच चुनावी महासमर में अपना शहर डूबता-उपलाता नजर आ रहा है। इधर, उम्मीदवारों की आवाजाही के बीच तरक्की के सब्जबाग दिखाए जा रहे हैं। हालात गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं कि आखिर इसके लिए कौन दोषी है ? वोट देने वाले या फिर लोगों के वोट पर सत्ता का सुख भोगने वाले ? सवाल विचारणीय है और मंथन की आवश्यकता है। चुनाव में जब तक शहर मंथन कर रहा है तब तक आइए आपको कुछ दृश्य दिखाते हैं जो बच्चों के लिए आनंद का विषय है तो बड़ों के लिए गंभीर चिंता का।

दृश्य एक : हाजीपुर का बागमली मोहल्ला दिन के करीब 01 बजे हैं। शहर के पुराने मोहल्लों में शुमार बागमली के सूरजदेव मेमोरियल स्कूल के निकट गली में पानी के बीच छोटे-छोटे बच्चे आनंद ले रहे हैं। छप-छप-छपाक। जूता-मोजा के साथ बच्चों के कपड़े भी भीग चुके हैं। बच्चों के साथ पानी के बीच गुजर रहे अभिभावकों को इस बात की चिंता सता रही थी कि कहीं बच्चे बीमार ना पड़ जाएं ? चिंता स्वभाविक थी। वहीं हालात के बीच अभिभावकों की मूल चिंता इस बात की थी कि आखिर नगर परिषद को टैक्स देने के बाद भी कब तक उन्हें इस नरक से होकर गुजरना होगा ?

दृश्य दो : जौहरी बाजार रेल ओवरब्रिज दिन के करीब 1.15 बजे हैं। जौहरी बाजार से सीता चौक जाने वाले मार्ग पर रेल ओवरब्रिज के ठीक नीचे भारी जल-जमाव के बीच उबड़-खाबड़ रास्ते पर हिचकोले खाते बढ़ते रिक्शा, साइकिल व अन्य वाहन। जरा संभल के नहीं चले तो पानी में गिरना तय है। यहां यह एक दिन की समस्या नहीं है, बल्कि जब भी बारिश होती है तो लोगों को डगर से गुजरने में इसी तरह की परेशानी होती है। अभी हाल में यहां पानी की निकासी को लेकर लाखों की लागत से पुलिया का निर्माण कराया गया पर समस्या यथावत।

दृश्य तीन : जौहरी बाजार से महुआ मोड़ दिन के करीब 1.30 बजे हैं। जौहरी बाजार से एसडीओ रोड को महुआ मोड़ के निकट जोड़ने वाली सड़क पर भारी जल-जमाव के बीच लोग आने-जाने को मजबूर दिखे। सड़क यहां अपना अस्तित्व करीब-करीब खो चुकी है। यहां यह फर्क करना मुश्किल है कि सड़क में गड्ढे हैं या गड्ढे में सड़क ? जल-जमाव के बीच मार्ग पर बड़ी मुश्किल से हिचकोले खाती बाइक, साइकिल, रिक्शा एवं अन्य वाहन गुजर रहे थे। इसी बीच दो वाहनों के एक साथ आने-जाने से मार्ग पर जाम लग गया। हार्न की आवाज से लोग परेशान।

दृश्य चार : अस्पताल रोड दिन के करीब 1.45 बजे हैं। हाजीपुर के अस्पताल मार्ग पर भारी जल-जमाव के बीच आते-जाते लोग। इसी बीच जुलूस की शक्ल में काफी संख्या में महिलाएं गुजरती दिखीं। नाला से ऊपर पानी बह रहा था। स्वभाविक तौर पर नाला का गंदा पानी सड़क पर बह रहा था। सदर अस्पताल के अलावा मार्ग पर बड़ी संख्या में डाक्टरों के क्लीनिक में बड़ी संख्या में मरीज इलाज कराने पहुंचे थे। गंदे पानी के बीच गुजरते लोगों को इस बात की चिंता सता रही थी कि कहीं और बीमार ना पड़ जाएं ?

chat bot
आपका साथी