पग-पग पर अतिक्रमण, सड़क पर पैदल चलना भी हुआ मुश्किल
अतिक्रमण और जाम पिछले कुछ वर्षों से हाजीपुर शहर की नई पहचान बन गई है। शहर की ये दो नई पहचान लोगों के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है। सुबह से लेकर देर शाम तक लोग इन परेशानियों से दो-चार होते रहते हैं। शहर का शायद ही कोई ऐसा चौक-चौराहा या सड़क बचा है जहां यह समस्या मुंह बाये खड़ी न हो। कभी-कभी लोगों को इन जाम और अतिक्रमण जैसी परेशानियों से निजात दिलाने के लिए अभियान जरूर चलाया जाता है लेकिन एक-दो दिन बाद फिर स्थिति पहले जैसी हो जाती है।
वैशाली। अतिक्रमण और जाम पिछले कुछ वर्षों से हाजीपुर शहर की नई पहचान बन गई है। शहर की ये दो नई पहचान लोगों के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है। सुबह से लेकर देर शाम तक लोग इन परेशानियों से दो-चार होते रहते हैं। शहर का शायद ही कोई ऐसा चौक-चौराहा या सड़क बचा है जहां यह समस्या मुंह बाये खड़ी न हो। कभी-कभी लोगों को इन जाम और अतिक्रमण जैसी परेशानियों से निजात दिलाने के लिए अभियान जरूर चलाया जाता है लेकिन एक-दो दिन बाद फिर स्थिति पहले जैसी हो जाती है।
बात अगर अतिक्रमण की करें तो शहर में नाला से लेकर सड़क तक अतिक्रमणकारियों का कब्जा है। सड़क किनारे नाले पर स्थायी दुकानदारों का कब्जा है तो सड़क पर अस्थायी दुकानदारों का। अब तो स्थिति ऐसी है कि कई इलाके में स्थायी दुकान अपनी दुकान के सामने या बगल में सड़क किनारे अस्थायी दुकान भी भाड़ा पर लगवाने लगे हैं। ऐसे अस्थायी दुकानदार एक निश्चित राशि स्थायी दुकानदार को देते हैं। नाला से लेकर सड़क तक अतिक्रमण की वजह से शहर में सुबह से ही जाम की समस्या उत्पन्न होने लगती है। गांधी चौक, बुद्धमूर्ति चौक, जौहरी बाजार, हॉस्पिटल रोड, कचहरी रोड, गुदरी, सुभाष चौक, सिनेमा रोड, स्टेशन चौक सबकी कहानी लगभग एक जैसी ही है। गांधी चौक व स्टेशन चौक तो शाम ढलते ही पूरी तरह से सब्जी मंडी में तब्दील हो जाती है। इस दौरान इधर से पैदल गुजरना भी मुश्किल हो जाता है। वाहन स्टैंड में सजती हैं दुकानें
कहने को तो नगर परिषद ने कचहरी रोड और हॉस्पिटल रोड में तीन वाहन स्टैंड बना रखें हैं। इनका टेंडर भी किया जाता है लेकिन स्थिति यह है कि इन स्टैंडों में कभी वाहन लगते ही नहीं। इन स्टैंडों में फुटपाथी दुकानें सजती हैं और इन दुकानों के बाहर सड़क किनारे गाड़ियां। इसकी वजह से सड़क पर जाम की समस्या उत्पन्न हो जाती है। एक ओर जहां लोग रोजाना इस समस्या से दो-चार हो रहे हैं वहीं दूसरी ओर इस समस्या से निजात दिलाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर कभी कोई ठोस पहल नहीं की गई।