मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं आज भी प्रासंगिक

वैशाली। सोनपुर के शहीद महेश्वर पुस्तकालय सभागार में शुक्रवार को प्रेमचंद जयंती समारोह का आयोजन किया

By Edited By: Publish:Fri, 31 Jul 2015 10:08 PM (IST) Updated:Fri, 31 Jul 2015 10:08 PM (IST)
मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं आज भी प्रासंगिक

वैशाली। सोनपुर के शहीद महेश्वर पुस्तकालय सभागार में शुक्रवार को प्रेमचंद जयंती समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वक्ताओं ने मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं को राष्ट्र के लिए अमूल्य निधि बताया। समारोह के मुख्य अतिथि साहित्यकार डा. नवल किशोर प्रसाद श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में कहा कि समाज सुधार के लिए मुंशी प्रेमचंद की रचना आज भी प्रासंगिक है। भारत के गांवों की सही चित्रण मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं में ही मिलता है। तत्कालीन समाज का शोषण तथा गरीबों की स्थिति का जो मार्मिक चित्रण मुंशी प्रेमचंद ने किया है, वह साहित्य क्षेत्र में एक धरोहर है। कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार सीताराम सिंह ने की। इस क्रम में कवि राणा प्रताप सिंह ने अपनी व्यंग्यभरी रचनाओं में श्रावण मास की महत्ता पर प्रकाश डाला। प्रो. संजय कुमार सिंह ने प्रेमचंद को सृष्टा बताया। इस क्रम में शिक्षक शिवजी दास, क्रांति सिंह, डा. वीर मणि राय, अजीत कुमार सिंह, सुख नंदन सिंह राठौड़, ब्रज किशोर शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। आगत अतिथियों का स्वागत संस्थान के सचिव अच्युत नंदन सिंह द्वारा किया गया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन तीर्थ नाथ सिंह ने किया।

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