मशीनीकरण की मार ने बंद किया रोजगार, विलुप्त हुई परंपरागत चीजें

मशीनीकरण ने भले ही लोगों को सुख-सुविधा मुहैया कराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा हो लेकिन कई परंपरागत चीजें विलुप्त हो गई या फिर विलुप्ति के कगार पर पहुंच गई है। मशीनीकरण से लोगों का चौका-चूल्हा भी अछूता नहीं रहा। रसोई में काम आने वाला जाता (अनाज पीसने वाला पत्थर का दो पाट) सिलबट्टा (मसाला पीसने वाला पत्थर का टुकड़ा) घरों से गायब होता जा रहा है। इसका असर यह है कि इसे बनाने और कूटने वालों का कारोबार बंद होने पर है। मिक्सी ग्राइंडर की मार इस रोजगार को लगभग बंद कर दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 05 Nov 2019 04:24 PM (IST) Updated:Tue, 05 Nov 2019 04:24 PM (IST)
मशीनीकरण की मार ने बंद किया रोजगार, विलुप्त हुई परंपरागत चीजें
मशीनीकरण की मार ने बंद किया रोजगार, विलुप्त हुई परंपरागत चीजें

जागरण संवाददाता, सुपौल : मशीनीकरण ने भले ही लोगों को सुख-सुविधा मुहैया कराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा हो लेकिन कई परंपरागत चीजें विलुप्त हो गई या फिर विलुप्ति के कगार पर पहुंच गई है। मशीनीकरण से लोगों का चौका-चूल्हा भी अछूता नहीं रहा। रसोई में काम आने वाला जाता (अनाज पीसने वाला पत्थर का दो पाट), सिलबट्टा (मसाला पीसने वाला पत्थर का टुकड़ा) घरों से गायब होता जा रहा है। इसका असर यह है कि इसे बनाने और कूटने वालों का कारोबार बंद होने पर है। मिक्सी ग्राइंडर की मार इस रोजगार को लगभग बंद कर दिया है।

मानव सभ्यता के विकास की पहली सीढ़ी पाषाण काल थी। इस काल में पत्थर के बने औजार का प्रयोग लोग करने लगे थे। पत्थर को घिसकर दैनिक उपयोग में आनेवाले औजारों का निर्माण किया जाता था। लोगों की निर्भरता पत्थरों पर थी। उस युग के कई औजार परिष्कृत रूप में आज भी उपयोग में लाए जा रहे हैं जिसमें जाता, सिलबट्टा जिसे स्थानीय भाषा में सिल्ला लोढ़ी कहा जाता है शामिल है। जाता अनाज पीसने के काम आता है जबकि सिल्ला लोढ़ी से मसाला पीसा जाता है। इसपर पिसाई ठीक से हो इसके लिए इसकी कुटाई की जाती है। जब इसका प्रयोग घर-घर में होता था तो कुटाई के लिए भी लोग थे। यह उनका रोजगार था। इस काम से उन्हें इतनी आमदनी हो जाती थी कि परिवार का गुजारा चल जाए। कुटाई के कारोबार से जुडे़किशनपुर के हरेराम बताते हैं कि एक समय था जब सिल्ला कूटकर परिवार का भरण पोषण कर लेते थे लेकिन अब तो दिन भर घूमने पर भी एकाध घर में ही काम मिलता है। कहा कि अब घर-घर में लोग सिल्ला लोढ़ी और जाता का काम मशीन से करने लगे हैं। इससे उनका धंधा मंदा हो चला है। बकौल हरेराम गांव-घर में भी अब लोग मिक्सी का प्रयोग करने लगे हैं या नहीं तो मसाला की पिसाई मील से करवा लेते हैं।

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