इधर तो बेहाल है उधर का क्या हाल है..
-सालभर पहले लोगों ने सोचा भी नहीं था कि दूसरी लहर लेकर आएगी तबाही -लोग एक दूसरे से फो
-सालभर पहले लोगों ने सोचा भी नहीं था कि दूसरी लहर लेकर आएगी तबाही
-लोग एक दूसरे से फोन पर भी ले रहे कोरोना से संबंधित जानकारी, बढ़ी परेशानी
जागरण संवादाता, सुपौल : लगभग एक साल पहले कोरोना ने जब पांव पसारा था तो लोगों ने सोचा भी नहीं था कि इसकी दूसरी लहर तबाही लेकर आएगी। बीते साल शुरुआती दिनों में लोगों ने इसे हल्के में जरूर लिया लेकिन धीरे-धीरे लोग कोरोना के गाइडलाइन का पालन करने लगे और बीमारी ने लोगों बख्श दिया। अब जब इसकी दूसरी लहर शुरू है तो स्थिति दिनोंदिन भयावह होती जा रही है। कोरोना की मार से लोग परेशान हो रहे हैं। लोग एक दूसरे से फोन पर भी कोरोना से संबंधित बातें ही करते नजर आते हैं। फोन लगाते ही कोरोना से संबंधित बजने वाला कॉलर ट्यून समाप्त होते ही सवाल दागते हैं कि इधर तो बेहाल है उधर का क्या हाल है।
दरअसल कोरोना की दूसरी लहर के साथ वाइरल बुखार के मरीजों की संख्या में भी अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। बुजुर्गों की माने तो स्वास्थ्य के लिहाज से साल के दो महीने कार्तिक और चैत अतिसंवेदनशील होते हैं। इसका वैज्ञानिक पक्ष भी है कि ये दोनों महीने मौसम परिवर्तन होनेवाला महीना है। चैत के बाद गर्मी की शुरुआत होती है और कार्तिक के बाद जाड़ा शुरू होता है। मौसम परिवर्तन का असर लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है जिससे लोग अधिक बीमार होते हैं। इस साल का चैत तो कोरोना को लेकर खास है। इसी महीने इसकी दूसरी लहर की शुरुआत हुई है। अन्य साल जहां इस महीने सर्दी-जुकाम और बुखार होने पर लोग इसे मौसमी बुखार मानते थे इस साल स्थिति उलट है। कोरोना को लेकर लोग सजग हैं इसलिए छींक आते ही दवा लेना शुरू कर देते हैं। कोरोना से मौत का बढ़ता आंकड़ा लोगों को और परेशान कर रहा है। इसी तरह मरीजों की बढ़ती संख्या भी लोगों की परेशानी का कारण बना है।
अब जब कोरोना को लेकर 5 मई से 15 मई तक लॉकडाउन की घोषणा की गई है, प्रशासन द्वारा इसपर सख्ती से अमल भी करवाया जा रहा है तो लोग एक दूसरे से फोन पर कोरोना का अपडेट लेते नजर आते हैं। अपने सगा-संबंधी से वहां कोरोना की स्थिति की जानकारी तो लेते ही हैं साथ ही अपनी जानकारी देने के बाद बचाव के उपाय बताते नजर आते हैं।