मिल पर 80 करोड़ बकाया, गन्ना किसान परेशान

रीगा चीनी मिल की चरमराती व्यवस्था से क्षेत्र के गन्ना किसान बेहाल हैं। किसानों का मिल पर 80 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य का बकाया है। भुगतान नहीं होने से किसान परेशान हैं। कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 09 Oct 2020 12:35 AM (IST) Updated:Fri, 09 Oct 2020 05:09 AM (IST)
मिल पर 80 करोड़ बकाया, गन्ना किसान परेशान
मिल पर 80 करोड़ बकाया, गन्ना किसान परेशान

सीतामढ़ी । रीगा चीनी मिल की चरमराती व्यवस्था से क्षेत्र के गन्ना किसान बेहाल हैं। किसानों का मिल पर 80 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य का बकाया है। भुगतान नहीं होने से किसान परेशान हैं। कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं।

रीगा चीनी मिल की स्थापना 1932 में हुई थी। पांच वर्ष पूर्व जहां एक सत्र में मिल में 65 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई होती थी, वहीं अब यह घटकर 20 लाख क्विंटल हो गई है। दूसरी ओर समय से किसानों को भुगतान नहीं हो रहा है। किसानों का पिछले दो पेराई सत्र 2018-19 व 2019-20 के गन्ना मूल्य का करीब 80 करोड़ रुपये बकाया है।

वहीं, मिल प्रबंधन ने गन्ना मूल्य के त्वरित भुगतान के नाम पर तकरीबन 12 हजार किसानों को केसीसी से ऋण दिला दिया था। इसमें मिल ने गारंटर बनते हुए इसका भुगतान करने की बात कही थी। लेकिन, नहीं किया जा रहा है। बैंकों ने करीब सवा सौ करोड़ के भुगतान के लिए किसानों को नोटिस भेजना शुरू किया तो वे परेशान हो गए। शिकायत पर प्रशासन ने तीन महीने पहले साजिश व धोखाधड़ी का मामला मिल पर दर्ज कराया था। इसके बाद प्रबंधन ने बैंकों को लिखा कि केसीसी से संबंधित सभी राशि के भुगतान की जवाबदेही मेरी है।

किसान अजय कुमार महतो, सर्वजीत राय, अजय राय व रामपुकार साह का कहना है कि भुगतान नहीं होने से उनकी आर्थिक स्थिति खराब है। कर्ज लेकर काम चला रहे। ईख उत्पादक संघ के अध्यक्ष नागेंद्र प्रसाद सिंह का कहना है कि मिल प्रबंधन ने विज्ञापन निकालकर केसीसी राशि के भुगतान का वादा किया था लेकिन, नहीं हो पाया। संयुक्त किसान संघर्ष मोर्चा के संरक्षक डॉ. आनंद किशोर का कहना है कि मिल से 40 हजार किसान जुड़े हैं। भुगतान नहीं होने से परेशान हैं।

रीगा शुगर कंपनी के मुख्य महाप्रबंधक शशि गुप्ता का कहना है कि चीनी की रिकवरी में कमी आई है। खर्च बढ़ा है। इसके अनुपात में चीनी का मूल्य नहीं बढ़ा है। इससे मिल घाटे में पहुंच गई है। इसकारण भुगतान में विलंब हो रहा है।

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