बेलसंड के 35 तालाब अतिक्रमण की गिरफ्त में

सीतामढ़ी। सीतामढ़ी में गिनती के तालाब रह गए हैं। अधिकांश तालाब अतिक्रमण की गिरफ्त में हैं। जो बचे हैं वह अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 27 Aug 2019 11:53 PM (IST) Updated:Tue, 27 Aug 2019 11:53 PM (IST)
बेलसंड के 35 तालाब अतिक्रमण की गिरफ्त में
बेलसंड के 35 तालाब अतिक्रमण की गिरफ्त में

सीतामढ़ी। सीतामढ़ी में गिनती के तालाब रह गए हैं। अधिकांश तालाब अतिक्रमण की गिरफ्त में हैं। जो बचे हैं वह अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। कुछ शासन-प्रशासन की लापरवाही तो कुछ लोगों की दबंगई के चलते सैकड़ों तालाबों का वजूद समाप्त हो गया है। बचे-खुचे तालाब अतिक्रमण की गिरफ्त में हैं। तालाबों की सुध केवल दशहरा के दौरान प्रतिमा विसर्जित करने और छठ के दौरान अ‌र्घ्य देने के वक्त ली जाती है। शेष दिनों में लोग तालाब में गंदगी फेंकते हैं। शासन-प्रशासन की उपेक्षा के चलते धीरे-धीरे लोगों ने तालाबों को अतिक्रमित कर लिया है। हालत यह है कि तालाब की जमीन पर बस्ती बस गए हैं।

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बेरबास स्थित पुराने तालाब पर अतिक्रमण

सीतामढ़ी : डुमरा प्रखंड में वर्तमान में महज 116 सरकारी तालाब रह गए हैं। इनमें 40 तालाब अतिक्रमण की गिरफ्त में हैं। अतिक्रमित 40 सरकारी तालाबों में आठ तालाब को अतिक्रमण से मुक्ति दिलाने के लिए मत्स्य विभाग लगातार सीओ और एडीएम से पत्राचार कर रहा है। लेकिन, कोई पहल नहीं की जा रही है। अतिक्रमित तालाबों में कुम्हरा विशनपुर पोखर, बेरबास पोखर, मिर्जापुर पोखर, मोहनडीह तालाब, राघोपुर पूर्वी पोखर, कुम्हरा विशनपुर बड़ा पोखर, मेथौरा तालाब और मेथौरा पोखर शामिल है। इनमें सबसे बुरा हाल बेरबास के पुराने तालाब का है। दो एकड़ में फैला यह तालाब अब आठ कट्ठा में सिमट कर रह गया है। तालाब के दोनों किनारों पर लोगों ने घर बना लिया है। सीओ द्वारा शीघ्र ही इस तालाब को अतिक्रमण से मुक्ति दिलाने की बात कही गई है।

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बेलसंड में 35 तालाब अतिक्रमण की गिरफ्त में

बेलसंड (सीतामढ़ी) : बेलसंड में 90 तालाब रह गए है। इनमें 35 पर अतिक्रमण है। कई स्थानों पर तालाब खेत बन गए हैं तो कहीं कूड़ादान। बेलसंड नगर पंचायत के वार्ड एक स्थित तालाब प्रशासनिक उदासीनता के चलते मैदान बन गया है। वर्तमान में यह कहीं से भी तालाब नजर नहीं आता है। लोगों ने तालाब की जमीन को भर कर घर और खेत बना लिया है। इस तालाब का रकवा कितना है, इसकी जानकारी किसी को भी नहीं है। वैसे वृद्ध लोगों के अनुसार यह तालाब एक एकड़ में फैला था। पूर्व में यह तालाब मीठे पानी के साथ मत्स्यपालन का आधार था। लेकिन, प्रशासनिक उदासीनता के चलते अब तालाब का निशान भी मिटता दिख रहा है।

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तालाब की जमीन पर बने घर और दुकान

सुरसंड (सीतामढ़ी) : सुरसंड शहर स्थित पुरैन पोखर। दो एकड़ जल क्षेत्र में बसा यह पोखर सुरसंड का शान था। लेकिन वर्तमान में लोगों ने पोखर की जमील को अतिक्रमित कर लिया है। पोखर के किनारे मकान और दुकान बन गए है। शहरी क्षेत्र के लोग पोखर में गंदगी बहाते है। वहीं आसपास के लोग मवेशी को नहाते है। देखभाल के अभाव में तालाब का पानी भी काला पड़ गया है।

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बच्चा फुलवारी पोखर की सुध नहीं

सुरसंड (सीतामढ़ी) :सुरसंड शहर स्थित बच्चा फुलवारी पोखर का हाल भी कम खराब नहीं है। इलाके की गंदगी धोते-धोते पोखर मैनी हो गई है। लोगों द्वारा तालाब की जमीन पर अतिक्रमण का दौर जारी है। शासन-प्रशासन तालाब के जीर्णोद्धार के प्रति बेपरवाह है। यही कारण है कि सौ साल पुराना यह तालाब आज उद्धारक की बाट जोह रहा है।

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