किया था खुशी देने का वादा, मगर रूलाकर चला गया रवि

By Edited By: Publish:Sat, 19 Apr 2014 10:33 PM (IST) Updated:Sat, 19 Apr 2014 10:33 PM (IST)
किया था खुशी देने का वादा, मगर रूलाकर चला गया रवि

श्रीराम तिवारी, डोरीगंज (सारण) : अपने माता-पिता व परिजनों को खुशी देने का वादा करने वाला रवि जाते-जाते सबको रूला गया। शनिवार को जब उसका शव उसके पैतृक गांव डोरीगंज के ख्वासपुर पहुंचा, तो पहले से रो रही आंखे एक बार फिर बह चलीं। हर तरफ रवि की मेधा की चर्चा हो रही थी और इसी के साथ उसके माता-पिता, भाई-बहन के गम को बांट लेने की कोशिश। गमगीन गांव वालों ने डोरीगंज घाट पर रवि को अंतिम विदाई दी। मुखाग्नि रविशंकर चौधरी के बड़े भाई संतोष उर्फ बबलू ने दी, जिनकी आंखें दो दिनों से रोते-रोते अब सूख गयी थीं। आंखें यूं लाल हो गयी थीं, मानो आंसू बहने के बाद आंखों के रास्ते रक्त बहना चाह रहा हो।

बता दें कि गुरूवार की रात डोरीगंज थाना क्षेत्र के ख्वासपुर गांव निवासी जेएनयू में कोरियन लैंग्वेज के एमए के छात्र 26 वर्षीय रवि की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी थी। उसके साथ ही उसके दो अन्य साथियों- मुजफ्फरपुर व गया के संतोष व रविशंकर भी इस दुर्घटना में काल के गाल में समा गए। गुरूवार की रात्रि में ही यह खबर परिजनों को मिल गयी थी। शुक्रवार की सुबह तक यह खबर गांव वालों को और फिर मीडिया में आयी खबरों के माध्यम से आस-पास के गांवों तक जा पहुंची थी। शनिवार को जैसे ही रवि का शव ख्वासपुर पहुंचा, इस मेधावी छात्र के अंतिम दर्शन के लिए भीड़ उमड़ पड़ी। क्षेत्र की यह छुपी हुई मेधा लोगों के सामने भी आयी तो तब जब वह उनसे दूर जा चुकी थी। दरअसल, रवि की मां को छोड़कर उसका पूरा परिवार ही हजारीबाग रहता है, जिस कारण ज्यादा लोगों को उसके बारे में जानकारी नहीं थी। मां सोना देवी दहाड़े मारकर रो रही थीं। पिता जर्मन चौधरी अपने बेटे संजय के साथ फ्लाइट के माध्यम से जेएनयू से रवि के शव को लेकर पटना आए और फिर वहां से सड़क मार्ग से ख्वासपुर पहुंचे थे। वे रवि के खोने के गम में पागल हुए जा रहे थे। रूंधे कंठ से ही उसकी खूबियां गिनाते और आंखों से आंसू बहाते जा रहे थे। बोले, मेरा लाल शुरू से ही मेधावी था। हमेशा 90 के ऊपर मा‌र्क्स लाता और किसी-किसी विषय में 100 में सौ। घटना के दिन वह अपने तीनों साथियों के साथ कोरिया जाने के लिए छात्रवृत्ति हेतु प्रिंसिपल के चैम्बर में इंटरव्यू देने गया था। वहां से लौटते समय रात्रि 2 बजे के करीब यह घटना घटी। हास्टल के पहले लगातार तीन टर्निग है और एक इसी के साथ ब्रेकर भी। उसी ब्रेकर पर गाड़ी उछल गयी और पेड़ से जा टकरायी। गाड़ी रविशंकर ही चला रहा था।

रवि के पिता जर्मन चौधरी, मां सोना देवी को ढांढस बंधाने में पूरा गांव ही लगा था। रवि के भाइयों के अलावे उसकी बहन शशि अपने पति अजय कुमार चौधरी के साथ पहुंची थी तो दूसरी बहन सुमन का भी रो-रोकर बुरा हाल है। रवि की अंतिम यात्रा में हुजूम उमड़ पड़ा। डोरीगंज स्थित श्मशान घाट पर उसके बड़े भाई ने उसे मुखाग्नि दी। और, घाट पर भी रो पड़े सभी।

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