किसी काम का नहीं रहा सहरसा का जिला नर्सरी

समाहरणालय के पीछे अवस्थित जिला नर्सरी कभी जिले के किसानों के लिए काफी सहायक था। यहां से किसान आम लीची कटहल आदि के साथ उन्नत किस्म की सब्जियों के पौधे नारियल का पौधे आदि ले जाते थे।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 07:24 PM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 07:24 PM (IST)
किसी काम का नहीं रहा सहरसा का जिला नर्सरी
किसी काम का नहीं रहा सहरसा का जिला नर्सरी

संस, सहरसा। समाहरणालय के पीछे अवस्थित जिला नर्सरी कभी जिले के किसानों के लिए काफी सहायक था। यहां से किसान आम, लीची, कटहल आदि के साथ उन्नत किस्म की सब्जियों के पौधे, नारियल का पौधे आदि ले जाते थे। सब जिला का विभाजन नहीं हुआ था, तब सुपौल और मधेपुरा आदि के किसान भी यहां से इस विश्वास पर पौधा ले जाते थे, कि इसमें कोई धोखाधड़ी संभव नहीं है। किसानों का नर्सरी के पौधा से फायदा भी पहुंचता था। मौसम के अनुसार नर्सरी के वाहन से दूर- दूर गांवों तक फलदार और सब्जी का पौधा पहुंचाया जाता था, जो अब कहानी की बात बन गई है। लगभग पांच एकड़ में फैले इस नर्सरी का अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया है। इसके पेड़- पौधे को काटकर धीरे- धीरे कोषागार, ईवीएम वेयर हाउस, वीवीपैट वेयर हाउस, परिवहन कार्यालय, आपदा कार्यालय, सांख्यिकी कार्यालय, पेंशनर भवन, आदि बना दिया गया। यह नर्सरी अब किसानों के किसी काम का नहीं रहा है। नर्सरी के कर्म एक- एक कर सेवानिवृत होते गए, अब मात्र एक चौकीदार इसकी रखवाली में लगा है। कर्मचारी के अभाव में यहां अब कोई पौधा भी नहीं उगाया जा रहा है। कुछ वर्ष पूर्व तक यहां नारियल का पौधा मिलता था, अब वह नहीं मिल रहा है। नए किसानों को यह पता भी नहीं है कि कभी जिला में सरकारी नर्सरी भी था। सरकारी नर्सरी की सुविधा नहीं रहने के कारण किसान पौधे की खरीद में ठगे जा रहे हैं। सरकारी स्तर पर इसका कोई प्रबंध नहीं है। -----

नर्सरी में कर्मियों की कमी के कारण इसका कामकाज संभव नहीं है। किसानों को अब कृषि व उद्यान विभाग द्वारा पेड़- पौधे का विभिन्न् माध्यमों से सहयोग दिया जा रहा है। किसानों को उन्नत किस्म का पेड़- पौधा प्राप्त हो इसके लिए विभाग स्तर से भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। दिनेश प्रसाद सिंह

जिला कृषि पदाधिकारी, सहरसा।

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