नदी की धारा बदलने पर होगा मत्स्यपालन

सहरसा। कोसी क्षेत्र में मत्स्यपालन की असीम संभावना को देखते हुए जहां नीली क्रांति व मुख्यमंत्री मत्स्य

By JagranEdited By: Publish:Mon, 22 Apr 2019 07:49 PM (IST) Updated:Mon, 22 Apr 2019 07:49 PM (IST)
नदी की धारा बदलने पर होगा मत्स्यपालन
नदी की धारा बदलने पर होगा मत्स्यपालन

सहरसा। कोसी क्षेत्र में मत्स्यपालन की असीम संभावना को देखते हुए जहां नीली क्रांति व मुख्यमंत्री मत्स्य विकास योजना के तहत मछली पालन के लिए कई योजनाएं चलाई गई है। लेकिन धारा बदलने में माहिर कोसी व उसकी सहायक नदियों के कारण बर्बाद हो रही जमीन का भी उपयोग अब मत्स्यपालन के लिए किया जाएगा। इस इलाके में हर वर्ष नदियां अपनी धारा बदलती है। जिस स्थल को मोईन कहा जाता है। नदी की धारा बदलने के बावजूद इसमें सालोंभर पानी लगा रह जाता है। जिसके कारण जहां नए जगह पर नदी के स्थानांतरित होने के कारण वह जमीन बर्बाद होती है और पूर्व का बहाव स्थल बेकार रह जाता है। मत्स्य विकास योजना के तहत सरकार खेतों के चर के अलावा इस मोईन में मत्स्यपालन की रणनीति बनाई है।

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एक सौ हेक्टेयर में मत्स्यपालन की है योजना

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इस योजना के तहत चर के साथ- साथ मोईन में मत्स्यपालन के लिए एक सौ हेक्टेयर का लक्ष्य रखा है। इस योजना के लिए सरकार ने पांच लाख प्रति हेक्टेयर लागत मूल्य निर्धारित किया है। जिसमें मत्स्यपालक को पचास फीसद अर्थात ढाई लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान प्राप्त होगा। इस योजना के लिए सरकार ने विभाग को आवंटन भी उपलब्ध करा दिया है। -------------- पंचायत प्रतिनिधियों की अनुशंसा पर मिलेगा लाभ ---------- इस योजना में त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों को आवेदन पर अनुशंसा का अधिकार दिया गया है। मत्स्यपालन की इच्छा रखनेवाले लोग मुखिया, सरपंच, जिला परिषद सदस्य आदि से आवेदन की अनुशंसा कराकर इस योजना का लाभ ले सकते हैं। इस योजना के तहत मोईन में मछली का बच्चा (जीरा) डाले जाने के समय स्थानीय विधायक- विधान पार्षद आदि को भी आमंत्रित किया जाएगा।

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