रात को एक डाक्टर व छह नर्स पर टिकी रहती है मरीजों की सांस

सहरसा। सदर अस्पताल में भर्ती मरीज की अगर रात में स्थिति सहरसा। सदर अस्पताल में भर्ती मरीज की अगर रात में स्थिति बिगड़ गई तो उसका भगवान ही मालिक है। वार्ड में ना तो रात को नर्स की और ना ही डाक्टर की ड्यूटी लगती है। बिगड़ गई तो उसका भगवान ही मालिक है

By JagranEdited By: Publish:Wed, 06 Oct 2021 07:25 PM (IST) Updated:Wed, 06 Oct 2021 07:25 PM (IST)
रात को एक डाक्टर व छह नर्स पर 
टिकी रहती है मरीजों की सांस
रात को एक डाक्टर व छह नर्स पर टिकी रहती है मरीजों की सांस

सहरसा। सदर अस्पताल में भर्ती मरीज की अगर रात में स्थिति बिगड़ गई तो उसका भगवान ही मालिक है। वार्ड में ना तो रात को नर्स की और ना ही डाक्टर की ड्यूटी लगती है। इमरजेंसी में तैनात एक डाक्टर व दो नर्स, प्रसव कक्ष में तैनात तीन नर्स पर ही इन मरीजों की जिम्मेवारी रहती है। मंगलवार की रात जब जागरण ने सदर अस्पताल का आन द स्पाट मुआयना किया तो पूरी व्यवस्था की पोल खुल गई।

----

12:00 बजे

----

आइसीयू में एक मरीज भर्ती थे। उन्हें गोली लगी थी। बाहर पुलिस व मरीज के स्वजन मौजूद थे। एक कर्मी रौशन कुमार थे लेकिन नर्स के बारे में बताया गया कि सोने चली गई है। पूछने पर कहा कि जगा दे क्या। डा. कन्हैया कुमार की ड्यूटी थी परंतु वो नहीं थे। मरीज को देखने के लिए इमरजेंसी में तैनात डा. वरुण कुमार झा पहुंचे और मरीज को देखकर कुछ दवाई दी और फिर इमरजेंसी चले गये।

----

12:15 बजे

---

अस्पताल के दो मंजिला भवन में पुरुष सर्जिकल वार्ड व जनरल वार्ड में मरीज व उनके स्वजन सो रहे थे। डाक्टर व नर्स के कर्तव्य कक्ष में ताला लगा हुआ था। पूछने पर एक मरीज के स्वजन विकास कुमार ने बताया कि आठ बजे के बाद नर्स रात का दवा देकर चली जाती है। रात में कोई भी डाक्टर या नर्स देखने नहीं आते हैं। महिला सर्जिकल वार्ड व जनरल वार्ड में भी कुछ मरीज के स्वजन जगे थे और अधिकांश मरीज बेड पर लेटे थे। इस वार्ड में भी मरीज को देखने रात के समय कोई नहीं आते हैं। अगर स्थिति बिगड़ती है तो उन्हें इमरजेंसी वार्ड लाया जाता है।

----

12:25 बजे

----

प्रसव कक्ष में तीन नर्स तैनात थी। मरीजों का आना-जाना लगा हुआ था। सुरक्षा को लेकर महिला गार्ड तैनात दिखी। नर्स ने पूछने पर बताया कि डाक्टर आन काल रहती है। जरूरत पड़ने पर फोन किया जाता है। हालांकि मरीज के स्वजन धर्मेंद्र ने बताया कि उनकी पत्नी को प्रसव पीड़ा हो रही है। नर्स द्वारा ही इलाज किया जा रहा है।

----

12:35 बजे

----

इमरजेंसी कक्ष में एक नर्स बैठी थी। इसी दौरान बेलवाड़ा की पांच वर्षीय प्रीति कुमारी को सिमरीबख्तियारपुर से रेफर किया गया था। उसे लेकर स्वजन पहुंचे थे। नाम-पता लिखने के बाद डाक्टर ने अपने विश्राम कक्ष में ही मरीज को देखकर इलाज शुरु किया लेकिन वो वार्ड में नहीं पहुंचे। इमरजेंसी कक्ष के सभी 14 बेड पर मरीज के रहने के कारण बेड नहीं मिल रहा था। काफी मशक्कत के बाद बेड उपलब्ध हो सका।

----

12:50

----

इमरजेंसी वार्ड में भी मरीजों के आने की रफ्तार काफी कम थी।इक्के-दुक्के दलाल इमरजेंसी व प्रसव कक्ष के समीप मंडरा रहे थे। आपरेशन थियेटर में भी कर्मी थे लेकिन अंदर से बंद था। हालांकि इस दौरान एक भी इस तरह का मामला नहीं आया।

----

शाम को ओपीडी में नहीं आते हैं डाक्टर

----

सदर अस्पताल में डाक्टर की संख्या 33 हो गयी थी। सुबह आठ से 12 व शाम चार से छह तक ओपीडी चलता है लेकिन शाम के ओपीडी में डाक्टर नहीं के बराबर ही पहुंचते हैं। एक-दो डाक्टर ही मरीज को देखते हैं।

----

वार्ड में भर्ती जिन मरीज को इमरजेंसी की जरूरत होती है उसका पुर्जा शाम में ही इमरजेंसी में दे दिया जाता है। रात को इलाज इमरजेंसी में तैनात डाक्टर की करते हैं।

डा. किशोर कुमार मधुप, प्रभारी डीएस, सदर अस्पताल, सहरसा।

chat bot
आपका साथी