बिहार: एक परिवार,142 लोग, एक ही छत-एक ही चूल्हा, जानकर हो जाएंगे हैरान
142 लोगों का परिवार और सभी एक साथ एक ही छत के नीचे रहते हैं। एक ही चूल्हे पर सबका खाना बनता है। परिवार के मुखिया सारे फैसले लेते हैं। ये कहानी नहीं हकीकत है जानिए...
रोहतास [ब्रजेश पाठक]। एक छत के नीचे 142 लोगों का कुनबा। कोई खटपट-झंझट नहीं। कभी कोई तकरार हुई भी तो बड़े-बुजुर्गों के हस्तक्षेप से सभी शांत हो गए। पांच पीढिय़ां एक साथ गुजर-बसर करती हैं और उनमें से कई बड़े ओहदेदार भी हैं।
जिले के काराकाट प्रखंड के सोनवर्षा गांव में रहने वाले इस परिवार के मुखिया 86 वर्षीय श्यामदेव सिंह हैं। वे सोनबरसा पंचायत के 29 वर्षों तक लगातार मुखिया भी रहे। बताते हैं कि मेरे परिवार की एकता ही मेरी शक्ति है। तभी तो इस परिवार में प्रोफेसर से ले इंजीनियर तक 36 सदस्य नौकरी में है। हर निर्णय में घर के मुखिया की सहमति आवश्यक है।
आज सिमट रहे संयुक्त परिवार की प्रथा पर कहते हैं कि आज की युवा पीढ़ी को दिग्भ्रमित कर दिया गया है। एकल परिवार को तरक्की का राज बताया जाता है। परिवार का परिभाषा पति-पत्नी व बच्चों तक सिमट कर रह गया है। तभी तो जहां एक तरफ पति-पत्नी के बीच तलाक के मामले बढ़ रहे हैं, वहीं वृद्धाश्रमों की संख्या भी बढ़ रही है। यह हमारी सनातन संस्कृति के विपरीत है। हमारी संस्कृति में वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को समाहित किया गया है। जिसका मूल संयुक्त परिवार है।
वर्ष 1978 से 2006 तक सोनबरसा पंचायत के मुखिया रहे श्यामदेव सिंह कहते हैं कि घर के 36 लोग सरकारी सेवा में हैं, लेकिन घर में किसी भी तरह के कार्य होने या किसी के बीमार होने पर सभी छुट्टी ले आ जाते हैं। कोई भी नया कार्य के लिए एकसाथ बैठकर निर्णय लिया जाता है। अंतिम निर्णय उनका ही होता है। क्योंकि वे अभी सबसे बड़े सदस्य हैं।
परिवार के सभी सदस्यों का भोजन एक ही चूल्हे पर पकता है। अधिकतर सदस्य एक साथ बैठकर खाना खाते हैं। खाना बनाने से लेकर परोसने तक की जिम्मेदारी घर की महिलाओं की होती है। महिलाएं सब साथ मिलकर घर का कार्य निपटाती हैं। बाहरी कार्य पुरुष करते हैं। कोई भी कार्यक्रम का फैसला बड़े सदस्य ही लेते हैं।
पांच पीढ़ियां रहती हैं साथ
परिवार के सदस्य व बिक्रमगंज इंटर कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य अनिल कुमार सिंह कहते हैं कि हमारे दादा जी दो भाई थे, जो अलग नहीं हुए। मेरे पिताजी चार भाई हुए व छोटे बाबा के पांच लड़के हुए। आज 35 भाइयों का भरा पूरा 142 सदस्यों वाला परिवार एक में ही है। इस घर की तरक्की का राज भी संयुक्त परिवार का होना ही है।
परिवार ने दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश
परिवार के लोग न सिर्फ अपनी बल्कि सामाजिक जिम्मेवारी उठाने में भी आगे रहते हैं। दो माह पूर्व अपने पूर्वज रामवृक्ष राय की स्मृति में पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए रामवृक्ष वाटिका बना सभी सदस्यों ने अपने-अपने नाम का पौधरोपण किया। उसकी देखभाल की सामूहिक जवाबदेही सभी लोग उठाते हैं।
परिवार के 36 सदस्य करते हैं नौकरी
142 सदस्यों के परिवार में 36 सदस्य नौकरी करते है । कुछ सदस्य कारोबार भी करते है। गांव में कुछ लोग खेती का कार्य देखते है। गांव में ही पोस्टआफिस है, जिसमें पोस्टमास्टर भी घर के सदस्य हैं। बिक्रमगंज में दो सदस्य प्राध्यापक हैं।
परिवार के अन्य सदस्यों में बैंक अधिकारी, रेंजर, डॉक्टर, इंजीनियर समेत अन्य शामिल हैं। बड़े चाचा रामदेव सिंह डीएफओ से रिटायर्ड हुए थे। कामता सिंह कृषि विभाग में निदेशक से सेवानिवृत्त हैं। रामप्रवेश सिंह फारेस्टर व रामतुला सिंह रेंजर हैं।